कृष्ण जन्माष्टमी के दिन श्री कृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा की जाती है, इसलिए झूला बनाते हैं
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इस दिन सुबह स्नान करने के बाद सभी देवताओं को नमस्कार करके व्रत का संकल्प लें.
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फिर मध्यान्ह के समय काले तिलों को जल में छिड़क कर देवकी जी के लिए प्रसूति गृह बनाएं.
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अब इस सूतिका गृह में सुन्दर बिछौना बिछाकर उस पर शुभ कलश स्थापित करें.
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इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के साथ माता देवकी जी की मूर्ति भी स्थापित करें.
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देवकी, वासुदेव, बलदेव, नन्द, यशोदा और लक्ष्मी जी इन सबका नाम लेते हुए विधिवत पूजन करें.
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यह व्रत रात में बारह बजे के बाद ही खोला जाता है. इस व्रत में अनाज का उपयोग नहीं किया जाता.
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फलहार के रूप में कुट्टू के आटे की पकौड़ी, मावे की बर्फी और सिंघाड़े के आटे का हलवे का सेवन कर सकते हैं
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