विष्णु पुराण के अनुसार माथे के तेज से उत्पन्न होने के कारण ही शिव-शंभू हमेशा योगमुद्रा में रहते हैं

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गवान शिव के प्रारम्भिक शिष्य सप्तऋषि माने जाते हैं. जिन्होंने पृथ्वी पर उनका प्रचार-प्रसार किया

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शिव के शिष्यों में बृहस्पति, विशालाक्ष, शुक्र, सहस्राक्ष, महेंद्र, प्राचेतस मनु, भारद्वाज शामिल थे.

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भगवान शिव की दो पत्नियां थी पहली देवी सती और दूसरी माता पार्वती

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भगवान शिव ने पहला विवाह माता सती के साथ किया जो कि प्रजापति दक्ष की पुत्री थीं

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दूसरा विवाह हिमालय की पुत्री पार्वती से किया था जो माता सती का ही दूसरा रूप है.

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जब माता सती ने अपनी आहूती दी तब ब्रह्मा जी ने उन्हें भस्म बना दिया जिसे भगवान शिव ने लगा लिया

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