सबसे पहले हाथ जोड़कर श्रीगणेश, माता दुर्गा और शिवजी का ध्यान करें
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अब जो मनोकामना चाहते हैं उसे अखंड ज्योति जलाते समय मन में सोच लें
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“ ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।“
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अखंड ज्योति जगाने के बाद माता से प्रार्थना करें कि पूजा की समाप्ति के साथ ही वह पूर्ण हो जाए.
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अखंड ज्योति जगाने के बाद अष्टदल पर कुछ लाल फूल भी रखें.
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घर में कभी ताला नहीं लगाना चाहिए. गैर-मौजूदगी में अगर ये ज्योति बुझ जाए तो अपशकुन होता है.
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नवरात्र में देशी गाय के घी से अखंड ज्योति जलाना मां भगवती को बहुत प्रसन्न करने वाला कार्य होता है.
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अगर गाय का घी नहीं है तो अन्य घी से माता की अखंड ज्योति पूजा स्थान पर जरूर जलानी चाहिए.
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अगर संकल्प लेकर कलश स्थापना करते हुए अखंड ज्योति जगाएं तो व्रत की समाप्ति तक इसे बुझने ना दें
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