नोएडा, 27 जून (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर जिले में मानवता को शर्मसार करने वाला एक मामला सामने आया है। नोएडा के पॉश इलाके सेक्टर 55 में बने जन कल्याण ट्रस्ट के आनंद निकेतन वृद्ध सेवाश्रम में 26 जून को महिला आयोग की तरफ से पुलिस अधिकारियों की टीम के साथ निरीक्षण किया गया था। आयोग के आश्रम को सील करने के आदेश के बाद शुक्रवार को जिला समाज कल्याण विभाग की टीम ने भी वहां जाकर वस्तु स्थिति की जानकारी ली।
महिला आयोग ने छापेमारी के दौरान वहां पर रह रहे बुजुर्गों को बद से बदतर हालत में देखकर वृद्धाश्रम को सील करने का आदेश जारी किया था और सभी को वहां से दूसरी जगह शिफ्ट करने के लिए भी कहा गया था।
समाज कल्याण विभाग गौतमबुद्ध नगर की तरफ से नित्या द्विवेदी ने शुक्रवार को अधिकारियों के साथ इस आश्रम का निरीक्षण किया। उन्होंने बताया कि यहां पर हालात बदतर हैं। तीन बुजुर्गों के हाथ-पैर बांधकर रखे गए थे, जिन्हें दनकौर के आश्रम में शिफ्ट किया गया है। अन्य बुजुर्गों को भी जल्द से जल्द दूसरे आश्रमों में शिफ्ट किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि यहां पर बुजुर्गों को कमरे में बंद कर रखा गया था और वहां हवा-पानी की व्यवस्था भी नहीं थी। कई बुजुर्ग ऐसे मिले, जो बात करने की भी स्थिति में नहीं थे। नोटिस जारी कर दिया गया है और जल्द से जल्द बुजुर्गों को दूसरे आश्रमों में शिफ्ट कर इस जगह को सील कर दिया जाएगा।
गौरतलब है कि जन कल्याण ट्रस्ट वृद्धाश्रम में बुजुर्गों के साथ अमानवीय व्यवहार की जानकारी मिलने पर महिला आयोग और जिला समाज कल्याण विभाग की टीम ने गुरुवार को आश्रम पर छापेमारी की थी। यह आश्रम बिना किसी वैध पंजीकरण के वर्षों से चलाया जा रहा था और बुजुर्गों को अमानवीय परिस्थितियों में रखा गया था।
छापेमारी के दौरान टीम को कुल 39 बुजुर्ग मिले, जिनमें से कई की हालत बेहद खराब पाई गई। कुछ बुजुर्ग बोलने तक की स्थिति में नहीं थे और नशे की हालत में प्रतीत हो रहे थे। कई बुजुर्गों को गंदगी और बदबू से भरे स्टोर रूम में रखा गया था। एक महिला के हाथ बंधे मिले जबकि एक वृद्ध पुरुष को एक कमरे में वर्षों से बंद कर रखा गया था। तीन बुजुर्गों को तत्काल रेस्क्यू कर समाज कल्याण विभाग के आश्रम में शिफ्ट किया गया है।
अधिकारियों के अनुसार, सभी 39 बुजुर्गों को अन्य सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित किया जाएगा और उसके बाद आश्रम को सील कर दिया जाएगा। जानकारी के मुताबिक, इस अवैध आश्रम में बुजुर्गों को रखने के एवज में एडमिशन फीस के नाम पर प्रति व्यक्ति 2.5 लाख रुपए तक की वसूली की जाती थी। ट्रस्ट के संचालक न तो मीडिया से बात करने को तैयार हुए और न ही अधिकारियों के सवालों का संतोषजनक जवाब दे पाए। उनका रवैया काफी असहयोगात्मक रहा।
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