वोट अधिकार यात्रा की वजह से संसद के विशेष सत्र में शामिल नहीं हो पाए राहुल गांधी: मृत्युंजय तिवारी

वोट अधिकार यात्रा की वजह से संसद के विशेष सत्र में शामिल नहीं हो पाए राहुल गांधी: मृत्युंजय तिवारी

वोट अधिकार यात्रा की वजह से संसद के विशेष सत्र में शामिल नहीं हो पाए राहुल गांधी: मृत्युंजय तिवारी

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IANS
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Mrityunjay Tiwari

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

पटना, 19 अगस्त (आईएएनएस)। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला की सफल अंतरिक्ष यात्रा को लेकर संसद में हुई विशेष चर्चा से राहुल गांधी की गैर गैरमौजूदगी का कारण बताया। उन्होंने मंगलवार को समाचार एजेंसी आईएएनएस से बातचीत में कहा कि राहुल गांधी बिहार में वोट अधिकार यात्रा में शामिल होने के लिए गए हैं। वे वहां पर 1 सितंबर तक रहेंगे। इसी वजह से शुभांशु शुक्ला के लिए बुलाए विशेष सत्र में शामिल नहीं हो पाए।

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इसके अलावा, उन्होंने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत की उस टिप्पणी को लेकर सवाल किए, जिसमें उन्होंने कहा था कि अंग्रेज हमारे संगठन आरएसएस से खौफ खाते थे।

मृत्युंजय तिवारी ने मोहन भागवत की इस टिप्पणी पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि आखिर आजादी के कई साल बीत जाने के बाद भी आरएसएस ने अपने कार्यालय में तिरंगा क्यों नहीं फहराया? आखिर इस संगठन ने देश की आजादी में क्या योगदान दिया? निश्चित तौर पर आरएसएस को सामने आकर इन दोनों सवालों का जवाब देना चाहिए, मगर अफसोस इनके पास किसी भी सवाल का जवाब नहीं है।

साथ ही, उन्होंने वोट चोरी को लेकर भी अपनी बात रखी और कहा कि सबसे पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी और तेजस्वी यादव ने वोट चोरी पर देश का ध्यान आकृष्ट कराया। इसके बाद स्थिति इस कदर गंभीर हो गई कि चुनाव आयोग को सामने आकर टिप्पणी करनी पड़ी है। लेकिन, चुनाव आयोग की टिप्पणी से यह साफ जाहिर होता है कि इस संवैधानिक संस्था ने खुद अपना नुकसान किया है। इंडिया ब्लॉक और कांग्रेस ने लोकतंत्र बचाने का निर्णय लिया है। हम लोकतंत्र पर किसी भी प्रकार का कुठाराघात स्वीकार नहीं करेंगे।

केरल में चौथी कक्षा की पुस्तक में यह प्रकाशित किया गया कि सुभाष चंद्र बोस अंग्रेजों से डरकर जर्मनी भाग गए थे। इसी पर मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि केरल सरकार ने इसे अपनी गलती बताकर स्वीकार किया है। लेकिन, नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने देश की आजादी में जो योगदान दिया है, उसे कोई भी नहीं भूल पाएगा।

साथ ही, उन्होंने ‘एक देश, एक चुनाव’ पर भी अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि ‘एक देश, एक चुनाव’ को लेकर हमारी पार्टी अपना मत स्पष्ट कर चुकी है। इस देश में हमेशा से ही एक देश, एक चुनाव की कड़ी रही, लेकिन बाद में कई राजनीतिक कारणों की वजह से टूट गई, इसलिए अब एक देश, एक चुनाव कराने के लिए हमें क्षेत्रीय पार्टियों को मिलाना होगा।

--आईएएनएस

एसएचके/केआर

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