उत्तर प्रदेश और खासकर बिहार में छठ का विशेष महत्व है
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नहाए-खाए से इसकी शुरुआत होती है, जो डूबते और उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर समाप्त होती है.
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ये पूजा साल में दो बार मनाई जाती है. पहली बार चैत्र में और दूसरी बार कार्तिक में.
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छठ पर्व की शुरुआत महाभारत काल से हुई थी.
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कर्ण भगवान सूर्य के परम भक्त थे और वो पानी में खड़े होकर उन्हें अर्घ्य देते थे.
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सूर्य की कृपा से ही वह महान योद्धा बने.आज भी छठ में अर्घ्य दान की यही परंपरा है.
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पुराणों के अनुसार,प्रियव्रत नामक एक राजा की कोई संतान नहीं थी.इसके लिए उसने हर जतन कर कर डाले
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लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। तब महर्षि कश्यप ने उसे पुत्रयेष्टि यज्ञ करने को कहा.
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यज्ञ के बाद महारानी ने एक पुत्र को जन्म दिया, लेकिन वह मरा पैदा हुआ
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राजा मृत बच्चे को दफनाने की तैयारी कर रहे थे तभी आसमान से एक ज्योतिर्मय विमान धरती पर उतरा
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इसमें बैठी देवी ने कहा, 'मैं षष्ठी देवी और विश्व के समस्त बालकों की रक्षिका हूं।'
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इसके बाद से ही राजा ने अपने राज्य में यह त्योहार मनाने की घोषणा कर दी.
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