साल 1942 में लता मंगेशकर के पिता दीनानाथ मंगेशकर का निधन हो गया था. उस समय उनकी उम्र काफी कम थी.

Photo Credit : @lata_mangeshkar Instagram

भाई-बहनों में सबसे बड़ी होने के चलते परिवार की सारी जिम्मेदारी उन पर आ गई थी.

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ऐसे में उन्होंने एक्टिंग में कदम रखा, जिससे वो अपने परिवार की जरूरतों को पूरा कर सके.

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लता दीदी ने करीब 8 फिल्में की. लेकिन उनकी फिल्में पर्दे पर कमाल नहीं दिखा पाई.

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जिसके बाद लता दीदी ने मराठी की एक फिल्म में प्ले बैक सिंगिंग से डेब्यू किया.

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हालांकि, लता के गाए गाने को फिल्म से ही हटा दिया गया. लेकिन प्ले बैक सिंगिंग की जर्नी शुरू हो गई.

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आप सोच सकते हैं अगर लता की फिल्में सफल हो जाती, तो वे एक एक्ट्रेस होती और 'स्वर सम्राज्ञी' न बन पाती

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यहां तक कि लता दीदी को पतली आवाज के चलते रिजेक्ट कर दिया गया था, क्योंकि उस समय भारी आवाज का दौर था.

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लेकिन फिर लता मंगेशकर ने अपनी आवाज से एक नई शुरुआत की और लोगों को अपना कायल बना लिया.

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उन्होंने 'एक प्यार का नगमा है', 'अजीब दास्तां है ये', 'भीगी-भीगी रातों में' जैसे कई बेहतरीन गाने गाए

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