भागलपुर, 5 जून (आईएएनएस)। विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर गुरुवार को बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर में विश्वविद्यालय परिसर के अंदर सिंदूर (वर्मिलियन) के पौधों का वृहद पैमाने पर पौधारोपण किया गया।
इस अभियान में महिला वैज्ञानिकों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। इस मौके पर कुल 200 सिंदूर के पौधे लगाए गए, जो प्रकृति, संस्कृति एवं स्त्री शक्ति के गहरे संबंध का प्रतीक हैं। सिन्दूर पौधा भारतीय परंपरा में सांस्कृतिक व औषधीय दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माना जाता है, और इसके माध्यम से इस कार्यक्रम को एक भावनात्मक और प्रतीकात्मक आयाम भी मिला।
भागलपुर के जिलाधिकारी नवल किशोर चौधरी एवं उनकी पत्नी कुमारी रजनी भी इस कार्यक्रम में पहुंचे और जिला प्रशासन की हरित पहल के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाया। जिलाधिकारी ने भी इस मौके पर पौधा लगाया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. डी. आर. सिंह ने की। उन्होंने अपने संबोधन में कहा, एक वृक्ष लगाना केवल पर्यावरणीय जिम्मेदारी नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों से किया गया एक वादा है। हमारी महिला वैज्ञानिकों द्वारा यह पहल परंपरा और विज्ञान के सामंजस्य की एक प्रेरणादायक मिसाल है।
उन्होंने कहा कि यह पौधारोपण अभियान न केवल पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक सार्थक कदम है, बल्कि यह शिक्षण समुदाय और समाज में पर्यावरणीय जिम्मेदारी की भावना को भी जागृत करता है।
कार्यक्रम की एक विशेष प्रस्तुति सिन्दूर, शक्ति और प्रतीकात्मकता शीर्षक से दी गई, जिसमें विश्वविद्यालय की वैज्ञानिकों ने सिन्दूर पौधे की सांस्कृतिक, पारिस्थितिकीय और प्रतीकात्मक महत्ता को विस्तार से बताया। इस प्रस्तुति ने इस पौधारोपण कार्यक्रम को एक गहन वैचारिक पृष्ठभूमि प्रदान की। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के सभी डीन, निदेशक, प्रशासनिक अधिकारी, विभागाध्यक्ष, वैज्ञानिक एवं छात्रगण उपस्थित रहे।
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