वर्ल्ड एथनिक डे : लुप्त होती संस्कृतियों के प्रति जागरूक करने के लिए मुंबई से हुई थी शुरुआत

वर्ल्ड एथनिक डे : लुप्त होती संस्कृतियों के प्रति जागरूक करने के लिए मुंबई से हुई थी शुरुआत

वर्ल्ड एथनिक डे : लुप्त होती संस्कृतियों के प्रति जागरूक करने के लिए मुंबई से हुई थी शुरुआत

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IANS
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विश्व एथनिक दिवस : दुनियाभर के जाति-संस्कृतियों को समझने और सम्मान देने का खास दिन

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

नई दिल्ली, 18 जून (आईएएनएस)। विश्व की तमाम संस्कृतियों के लिए जून महीने की 19 तारीख बहुत खास है। इस दिन वर्ल्ड एथनिक डे मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य संस्कृतियों का संरक्षण करना, उन्हें सम्मान देना और विलुप्त हो रही पुरानी संस्कृतियों को बचाने के लिए जागरूकता फैलाना है।

सदियों से चले आ रहे पुराने रीति-रिवाजों और परंपराओं को बढ़ावा देना वर्ल्ड एथनिक डे का मुख्य उद्देश्य है। इस दिन खास आयोजन करके एक-दूसरे की सभ्यताओं, ऐतिहासिक विरासतों, कलाओं और संस्कृतियों के प्रति जागरूक किया जाता है और सम्मान की भावना दिखाई जाती है। वहीं, यह दिन अपनी सांस्कृतिक विरासत की रक्षा करने के लिए प्रेरित करता है।

वर्ल्ड एथनिक डे का इतिहास बहुत पुराना है। लेकिन, विशेष तौर पर इस खास दिन को मनाने की परंपरा की शुरुआत का श्रेय संयुक्त राष्ट्र को जाता है। वर्तमान में ऐसा माना जाता है कि वर्ल्ड एथनिक डे मनाने की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र ने की थी। वहीं कई लोगों का मानना है कि वर्ल्ड एथनिक डे मनाने की शुरुआत मुंबई से हुई थी। दरअसल, सर्वप्रथम मुंबई स्थित ऑनलाइन एथनिक उत्पादों के बाजार क्राफ्ट्सविला डॉट कॉम द्वारा इसे मनाया गया था। बाद में इसे संयुक्त राष्ट्र से मान्यता मिली।

ऐसा माना जाता है कि दुनियाभर में करीब एक हजार से अधिक जातीय समूह हैं, जिनमें आपस में काफी भिन्नताएं हैं। इन भिन्नताओं में भाषा, आनुवंशिक, सांस्कृतिक और सामाजिक विविधताएं शामिल हैं। वहीं, डिजिटल युग में सोशल मीडिया के बढ़ते उपयोग से अन्य जाति समूहों और संस्कृतियों को समझने का अवसर बहुत तेजी से बढ़ा है। ऐसे में, वर्तमान में वर्ल्ड एथनिक डे की प्रासंगिकता भी बढ़ी है।

वर्ल्ड एथनिक डे के महत्व की बात करें तो इस दिन अन्य संस्कृतियों और परंपराओं के बारे में जानने और समझने तथा अपनी प्राचीन संस्कृतियों पर गर्व करने का दिन होता है। यह दिन विभिन्न संस्कृतियों के बीच सम्मान और समझ को बढ़ाता है, सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के लिए प्रेरित करता है और संस्कृति के प्रति व्यापार और सहयोग को बढ़ावा देता है।

--आईएएनएस

एससीएच/एकेजे

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