संगम में डुबकी लगाते हुए असदुद्दीन ओवैसी का वायरल वीडियो, AI का कमाल या हकीकत?

प्रयागराज में महाकुंभ मेला हर बार आस्था, परंपरा और धार्मिक आस्थाओं का केंद्र बनता है. इसी बीच सोशल मीडिया पर एक ऐसा वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें एआईएमआईएम के प्रमुख और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी संगम में डुबकी लगाते हुए नजर आ रहे हैं.

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Ravi Prashant
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Viral video Asaduddin Owaisi

वायरल वीडियो Photograph: (X)

प्रयागराज में महाकुंभ मेला हर बार आस्था, परंपरा और धार्मिक आस्थाओं का केंद्र बनता है. इसी बीच सोशल मीडिया पर एक ऐसा वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें एआईएमआईएम के प्रमुख और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी संगम में डुबकी लगाते हुए नजर आ रहे हैं. इस वीडियो में उन्हें पूजा करते हुए और फिर स्नान करते हुए दिखाया गया है. वीडियो ने न केवल चर्चा का विषय बनाया है, बल्कि लोगों के बीच आश्चर्य और भ्रम की स्थिति भी उत्पन्न कर दी है.

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क्या है वीडियो की सच्चाई?

सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है ये वीडियो असली नहीं है, बल्कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक का यूज करके बनाया गया है. वीडियो की गहराई से जांच करने पर पाया गया कि ओवैसी के चेहरे के हावभाव और उनकी गतिविधियों में एआई जनित वीडियो की स्पष्ट झलक है. इस वीडियो में वास्तविकता और कल्पना को इस कदर जोड़ दिया गया है कि आम व्यक्ति के लिए इसे समझना मुश्किल हो जाता है.

देख लोगों ने क्या कहा? 

वायरल वीडियो पर लोगों की मिली-जुली प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं. कुछ लोग इसे एआई का चमत्कार बता रहे हैं, तो कुछ इसे धार्मिक आस्था से जोड़कर व्यंग्यात्मक टिप्पणियां कर रहे हैं. वहीं, ओवैसी के समर्थक इसे उनके खिलाफ साजिश बता रहे हैं. कई यूजर्स ने सोशल मीडिया पर सवाल उठाए हैं कि ऐसे वीडियो बनाकर धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ करना उचित नहीं है.

एआई तकनीक और फेक न्यूज का बढ़ता चलन

यह पहली बार नहीं है जब एआई तकनीक का उपयोग करके किसी नेता या प्रसिद्ध व्यक्ति का फेक वीडियो बनाया गया है. एआई और डीपफेक जैसी तकनीकों के जरिए ऐसे वीडियो बनाना बेहद आसान हो गया है, जो सच और झूठ के बीच की सीमाओं को धुंधला कर देते हैं. इससे न केवल भ्रम की स्थिति पैदा होती है, बल्कि गलत सूचनाएं भी तेजी से फैलती हैं.

सावधानी और जागरूकता जरूरी

ऐसे समय में जब फेक न्यूज और एआई जनित सामग्री तेजी से वायरल हो रही है, लोगों को जागरूक और सतर्क रहने की जरूरत है. सोशल मीडिया पर किसी भी वीडियो या खबर पर विश्वास करने से पहले उसकी सच्चाई की पुष्टि करना बेहद आवश्यक है. यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि तकनीक का सही इस्तेमाल कितना जरूरी है और इसके दुरुपयोग को कैसे रोका जा सकता है.

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