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देश में कई तरह के सांपों की प्रजातियां हैं लेकिन एक गजब का सांप है जिसके बारे में काफी कम ही लोग जानते हैं. इस सांप की खासियत है इसकी नाक.
Rare Snake: देश और दुनिया में वन्यजीवों की विविधता में कई अजीब तरह के जीव पाए जाते हैं. लेकिन सांप एक ऐसी प्रजाति है जो इंसान के लिए शुरू से ही अलग जगह रखता है. देश में कई तरह के सांपों की प्रजातियां हैं लेकिन एक गजब का सांप है जिसके बारे में काफी कम ही लोग जानते हैं. इस सांप की खासियत है इसकी नाक. जी हां ये सांप अपनी नाक की वजह से अपनी अलग पहचान रखता है. हाल में देश के वन्यजीवों में नई सांप की प्रजाति देखने को मिली है. आइए जानते हैं क्या है इस प्रजाति के सांप का नाम क्या है और ये इंसानों के लिए क्यों खास है.
इस गजब के सांप की हम बात कर रहे हैं उसका नाम है 'अहेतुल्ला लोंगिरोस्ट्रिस' (Ahaetulla longirostris). यह सांप अपनी लंबी नथुनी (थूथन) और हरे रंग के शरीर के कारण विशेष पहचान रखता है.
अहेतुल्ला लोंगिरोस्ट्रिस नाम के इस गजब के सांप को भारत और आस-पास के देशों में पाया गया है. भारत में प्रमुख रूप से यह बिहार, उत्तर प्रदेश और असम के जंगलों में पाया जाता है.
यह सांप विशेष रूप से वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (बिहार) और दुधवा टाइगर रिजर्व (उत्तर प्रदेश) में देखा गया है. हाल ही में, दुधवा टाइगर रिजर्व में इसकी उपस्थिति ने वन्यजीव विशेषज्ञों को आश्चर्यचकित कर दिया है, क्योंकि यह प्रजाति पहले केवल बिहार में पाई जाती थी.
लंबी नथुनी: इस सांप की सबसे प्रमुख विशेषता इसकी लंबी और पतली नथुनी है, जो इसे अन्य प्रजातियों से अलग बनाती है.
रंग और आकार: इसका शरीर हरे या भूरे रंग का होता है, जबकि पेट की ओर हल्की भूरी या सफेद धारियाँ होती हैं.
जीवविज्ञानिक वर्गीकरण: यह सांप कोलुब्रिडे परिवार का सदस्य है और इसकी खोज 2021 में हुई थी. डीएनए विश्लेषण से पुष्टि हुई कि यह प्रजाति अहेतुल्ला फुस्का क्लेड की सदस्य है.
अहेतुल्ला लोंगिरोस्ट्रिस सांप की बात करें तो यह मुख्य रूप से दिन में सक्रिय रहता है और इसका आहार छोटे पक्षी, मेंढ़क, छिपकलियां और कीड़े होते हैं. यह सांप अपनी लंबी और पतली संरचना के कारण पेड़ों की शाखाओं में छिपकर शिकार करता है. जब शिकार इसके पास आता है, तो यह तेजी से हमला कर देता है.
अहेतुल्ला लोंगिरोस्ट्रिस हल्का विषैला सांप होता है, लेकिन इसका विष मनुष्यों के लिए खतरनाक नहीं होता. यह सांप आमतौर पर आक्रामक नहीं होता और तभी हमला करता है जब इसे खतरा महसूस होता है. इसके काटने से थोड़ी सूजन और दर्द हो सकता है, लेकिन यह जानलेवा नहीं होता.
बता दें कि अहेतुल्ला लोंगिरोस्ट्रिस की खोज ने भारतीय वन्यजीवों की विविधता में एक नई दिशा दिखाई है. इसकी मौजूदगी से यह स्पष्ट होता है कि हमारे जंगलों में अभी भी कई अनदेखी और दुर्लभ प्रजातियां मौजूद हैं. इस सांप की खोज से वन्यजीव संरक्षण और जैव विविधता के महत्व को समझने में मदद मिलती है.
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