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Viral: नेपाल में अपने पति को पीठ पर लादकर भागी महिलाएं, जाने कारण

महिला दिवस के अवसर पर इस तरह की रेस का आयोजन नेपाल की राजधानी काठमांडू से 150 किलोमीटर दूर देवघाट ग्राम परिषद के एक स्थानीय स्कूल के मैदान में किया गया था. रेस में शादीशुदा महिलाओं ने हिस्सा लिया था.

Updated on: 12 Mar 2021, 03:05 PM

highlights

  • महिलाएं किसी से कम नहीं
  • 16 कपल्स ने इसमें भाग भी लिया
  • साहस दिखाने का मौका मिला

नई दिल्ली:

फिल्म 'दम लगाकर हइशा' में एक सीन ऐसा दिखाया जाता है जब प्रेम प्रकाश तिवारी यानी आयुष्मान खुराना अपनी पत्नी संध्या यानी भूमि पेडनेकर को पीठ पर लादकर भागते हैं. फिल्म के इस सीन के बाद प्रेम प्रकाश को अपनी पत्नी की अहमियत का एहसास हो जाता है और वो अपनी पत्नी से प्यार करने लगता है. फिल्म अपने इस सीन से ही हिट हो गई थी. वैसे तो ये कहानी फिल्मी थी, लेकिन नेपाल में भी कुछ ऐसी ही परंपरा को निभाया जाता है. यहां फर्क सिर्फ इतना है कि पति की जगह पत्नी अपने पति को पीठ पर लादकर भागती है. इस रेस के जरिए महिलाएं अपना दमखम दिखाती हैं, ताकि यह साबित कर सकें कि वे पुरुषों से कमजोर नहीं हैं.

इस अनोखी रेस का आयोजन अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर किया गया. जानकारी के मुताबिक महिला दिवस के अवसर पर इस तरह की रेस का आयोजन नेपाल की राजधानी काठमांडू से 150 किलोमीटर दूर देवघाट ग्राम परिषद के एक स्थानीय स्कूल के मैदान में किया गया था. रेस में शादीशुदा महिलाओं ने हिस्सा लिया था. रेस का उद्देश्य सिर्फ ये संदेश देना था कि महिलाएं कमजोर नहीं होती हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस 100 मीटर के मैराथन में अलग-अलग उम्र के 16 जोड़ों ने हिस्सा लिया. दौड़ में हिस्सा लेने वाली एक महिला ने बताया कि सभी ने अपने पतियों को पीठ पर लादकर दौड़ लगाई. 

उसने मीडिया को बताया कि 'मैं बहुत साहस और निष्ठा के साथ यहां आई. भले ही मैं जीत नहीं पाई, लेकिन मुझे खुशी है कि मैं इसका हिस्सा बनीं. यह महिलाओं को प्राथमिकता और सम्मान का विषय है'. रेस में हिस्सा लेने वाली महिलाओं को एक प्रमाण पत्र भी दिया गया. दौड़ के आयोजक दुर्गा बहादुर थापा (Durga Bahadur Thapa) ने बताया कि इस अनोखे खेल का मकसद बस यही दर्शाना है कि महिलाएं भी पुरुषों के बराबर हैं. उन्होंने बताया कि रेस में भाग लेने वालों को कोई पुरस्कार नहीं दिया गया, उन्हें बस एक प्रमाणपत्र दिया गया है. 

उन्होंने कहा कि पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को अपनी क्षमता का प्रदर्शन करने का अवसर अक्सर काफी कम मिलता है. इसलिए संस्था की ओर से ये प्रयास किया गया. इस रेस में महिलाओं को अपनी क्षमता दिखाने का अवसर दिया गया. और इस रेस में काफी महिलाओं ने हिस्सा लिया. इस रेस में हिस्सा लेने वाली महिलाएं इससे काफी खुश हुईं. उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास था कि ये दिखाया जा सके कि महिलाएं पुरुषों से कम नहीं होती हैं. उन्हें किसी भी हाल में पुरुषों से कम नहीं समझना चाहिए.