Viral Video खोल रहे किसान आंदोलन पर 'विपक्षी रस्साकशी' की पोल
किसानों के साथ सत्ता पक्ष और विपक्ष के दावे-प्रतिदावों के बीच सोशल मीडिया पर ऐसे तमाम वीडियो वायरल हुए हैं, जो फिलहाल किसान समर्थक होने का दम भर रहे विपक्षी नेताओं की पोल खोलते हैं.
नई दिल्ली:
मोदी सरकार के कृषि कानूनों पर किसान आंदोलन से शुरू हुई रार अब विपक्ष की 'तथ्यहीन विध्वंसक राजनीति' में बदल गई है. आलम यह है कि दिल्ली सीमा पर किसानों के भारी जमावड़े को देख खुफिया एजेंसियों तक ने सरकार को चेता दिया है कि इसकी आड़ में असामाजिक तत्व कानून-व्यवस्था को बिगाड़ने के प्रयास में है. इस बात को केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने भी कही है कि विपक्ष अपना वजूद बचाने के लिए किसान आंदोलन को गलत हवा दे रहा है, वह भी झूठे तथ्यों के साथ. किसानों के साथ सत्ता पक्ष और विपक्ष के दावे-प्रतिदावों के बीच सोशल मीडिया पर ऐसे तमाम वीडियो वायरल हुए हैं, जो फिलहाल किसान समर्थक होने का दम भर रहे विपक्षी नेताओं की पोल खोलते हैं.
मुझे समझ नहीं आ रहा की जब सत्ता पक्ष बिचौलियों को हटाना चाहता हैं किसानो के लिए तो आपत्ति क्या हैं ?? सत्ता में UPA या NDA सबके सुर एक रहे तो अब तान अलग क्यों दे रहे हो @RahulGandhiजी ?? किसान तो बहाना , मक़सद तो “ मोदी” हटाना हैं pic.twitter.com/0WRpFxgEPx
— Dr Ajay Alok (@alok_ajay) December 7, 2020
यूपीए के दूसरे कार्याकल में कांग्रेस ने की खुले बाजार की वकालत
सबसे पहले बात करते हैं कांग्रेस की. पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से लेकर पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह तक किसान बिलों को वापस लेने की मांग कर आंदोलन को राष्ट्रीय सुरक्षा पर आंच कहने तक से नहीं चूके. इस कड़ी में डॉ अजय आलोक का शेयर किया एक लिंक तेजी से वायरल हुआ है, जिसमें राहुल गांधी से लेकर अजय माकन तो कपिल सिब्बल तक पूर्व में उन्हीं बातों की वकालत करते नजर आ रहे हैं, जिन पर आज वे मोदी सरकार की ओर से लाए गए किसान बिलों का विरोध कर रहे हैं. इसमें राहुल गांधी और अन्य कांग्रेस नेता यही कह रहे हैं कि किसानों को बिचौलियों से बचाने के लिए ही प्रावधान किए गए हैं. सारी व्यवस्था इसीलिए की जा रही है कि किसान अपने-अपने राज्यों में अपने कृषि उत्पाद खुद सीधे बेच सकें. यह अलग बात है कि आज राहुल गांधी समेत सभी कांग्रेसी नेता अपनी पहली कही हुई बात से उलट सुर लगा रहे हैं.
Both are same thali Ke chatte batte pic.twitter.com/LYGEzl5W6J
— Shefali Vaidya. (@ShefVaidya) December 7, 2020
केजरीवाल औऱ कैप्टन ने खोली एक-दूसरे की पोल
शैफाली वैद्य की ओर से शेयर किए गए लिंक में कृषि बिलों पर दिल्ली और पंजाब के मुख्यमंत्री क्रमशः अरविंद केजरीवाल और कैप्टन अमरिंदर सिंह एक-दूसरे पर ही कीचड़ उछाल रहे हैं. अरविंद केजरीवाल कहते हैं कि पंजाब की जनता कैप्टन साहब से जानना चाहती है कि जब आज से डेढ़ साल पहले मोदी सरकार ने इन कृषि बिलों पर एक कमेटी बनाई थी, तो उसमें कैप्टन साहब भी थे. ऐसे में उन्होंने तब इन काले कानूनों पर आवाज क्यों नहीं उठाई. इस पर पलटलार करते हुए कैप्टन अमरिंदर सिंह को दिखाया गया है. कैप्टन साहब कहते हैं कि जिस तरह अन्य राज्यों ने मोदी सरकार में पारित कृषि कानूनों को अपने यहां लागू करने से रोका तो अरविंद केजरीवाल को किसने रोका है. अरविंद केजरीवाल तो बकायदा एक कृषि कानून पर अधिसूचना जारी कर चुके हैं.
Listen to this real farmer pic.twitter.com/Ps8VApWXdM
— Exsecular (@ExSecular) December 6, 2020
कांग्रेस का दोगलापन तक कहा जा रहा
दुबई की रहने वाली एक ट्विटर यूजर ने लिंक शेयर किया है, जिसमें बिहार का एक किसान कृषि कानूनों पर राजनीतिक कर रहे विपक्ष और कथित किसान नेताओं से प्रश्न पूछ रहा है. उसका कहना है कि मेरे पिताजी किसान है और वह फिलहाल फसल बोने में व्यस्त हैं. यहां तो विरोध के नाम पर कुछ और ही बोआ जा रहा है. उसका सीधा सवाल विपक्षी नेताओं से यही है कि क्या बीते 60 साल में किसान खुशहाल था. इसके साथ ही वह शख्स कांग्रेस पर भी अंगुली उठाता है और विरोध को कांग्रेस का दोगलापन करार देता है.
@diljitdosanjh for your reference, Shaheen Bagh lady #BilkisBano from the very spot Singhu Border, talking to media people. @KanganaTeam is accurate on her statement. https://t.co/T72uUPTUHb pic.twitter.com/qgpZOT0LKz
— Hit News India (@HitNewsIndia) December 3, 2020
शाहीन बाग पार्ट टू की तैयारी
ऐसे तमाम वीडियो शेयर हुए हैं, जिनमें किसान आंदोलन को शाहीन बाग पार्ट टू करार दिया जा रहा है. खासकर किसान आंदोलन की साइट पर बंटती बिरयानी को देखते हुए. हालांकि शाहीन बाग की बिलकिस दादी की मौजूदगी काफी सनसनीखेज रही. बिलकिस दादी के आंदोलन स्थल पर पहुंचने पर उनसे तमाम सवाल पूछे गए. उन्होंने यही कहा कि हमारी सरकार से मांग है कि वह कानून वापस ले ले. हालांकि यह अलग बात है कि उनसे यह सवाल पूछने की कौन से कानून तो दादी न तो यह बता सकी कि क्या आपत्तिजनक है और न ही यह बता सकी कि इनसे किसान को नुकसान क्या होने वाला है.
At Farmer Protest site..
— Mansoor Azad منصور آزاد (@MansoorAzad) December 6, 2020
❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️
The day when everyone unites like this against fascists,
Unity in diversity the soul of India#FarmersProtest@sushant_says@RanaAyyub @zainabsikander @diljitdosanjh @rautsanjay61 @LambaAlka @srinivasiyc @IncKinju @IamOnir @logicalislam pic.twitter.com/LKeFUa5DhT
एकता की मिसाल बदली खोखले इंकलाब में
शाहीन बाग की ही तर्ज पर कुछ वीडियो ऐसे भी सामने आए जिसमें आंदोलनकारी सड़क पर नमाज अदा कर रहे हैं और उनकी इस बंदिगी में कोई रुकावट नहीं आए इसके लिए तमाम लोग उनके इर्दगिर्द घेरा बनाए खड़े दिखते हैं. इसे बतौर एकता की मिसाल बताने के लिए कमेंट्री कर रहा शख्स इंकलाब का नारा भी बुलंद करता है, लेकिन बदले में जिंदाबाद की कोई गूंज नहीं सुनाई देती तो इसके बाद ट्रोलिंग के तमाम सबूत नीचे मिल जाते हैं.
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