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Viral Video खोल रहे किसान आंदोलन पर 'विपक्षी रस्साकशी' की पोल

किसानों के साथ सत्ता पक्ष और विपक्ष के दावे-प्रतिदावों के बीच सोशल मीडिया पर ऐसे तमाम वीडियो वायरल हुए हैं, जो फिलहाल किसान समर्थक होने का दम भर रहे विपक्षी नेताओं की पोल खोलते हैं.

Updated on: 07 Dec 2020, 03:59 PM

नई दिल्ली:

मोदी सरकार के कृषि कानूनों पर किसान आंदोलन से शुरू हुई रार अब विपक्ष की 'तथ्यहीन विध्वंसक राजनीति' में बदल गई है. आलम यह है कि दिल्ली सीमा पर किसानों के भारी जमावड़े को देख खुफिया एजेंसियों तक ने सरकार को चेता दिया है कि इसकी आड़ में असामाजिक तत्व कानून-व्यवस्था को बिगाड़ने के प्रयास में है. इस बात को केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने भी कही है कि विपक्ष अपना वजूद बचाने के लिए किसान आंदोलन को गलत हवा दे रहा है, वह भी झूठे तथ्यों के साथ. किसानों के साथ सत्ता पक्ष और विपक्ष के दावे-प्रतिदावों के बीच सोशल मीडिया पर ऐसे तमाम वीडियो वायरल हुए हैं, जो फिलहाल किसान समर्थक होने का दम भर रहे विपक्षी नेताओं की पोल खोलते हैं. 

यूपीए के दूसरे कार्याकल में कांग्रेस ने की खुले बाजार की वकालत
सबसे पहले बात करते हैं कांग्रेस की. पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से लेकर पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह तक किसान बिलों को वापस लेने की मांग कर आंदोलन को राष्ट्रीय सुरक्षा पर आंच कहने तक से नहीं चूके. इस कड़ी में डॉ अजय आलोक का शेयर किया एक लिंक तेजी से वायरल हुआ है, जिसमें राहुल गांधी से लेकर अजय माकन तो कपिल सिब्बल तक पूर्व में उन्हीं बातों की वकालत करते नजर आ रहे हैं, जिन पर आज वे मोदी सरकार की ओर से लाए गए किसान बिलों का विरोध कर रहे हैं. इसमें राहुल गांधी और अन्य कांग्रेस नेता यही कह रहे हैं कि किसानों को बिचौलियों से बचाने के लिए ही प्रावधान किए गए हैं. सारी व्यवस्था इसीलिए की जा रही है कि किसान अपने-अपने राज्यों में अपने कृषि उत्पाद खुद सीधे बेच सकें. यह अलग बात है कि आज राहुल गांधी समेत सभी कांग्रेसी नेता अपनी पहली कही हुई बात से उलट सुर लगा रहे हैं.

केजरीवाल औऱ कैप्टन ने खोली एक-दूसरे की पोल
शैफाली वैद्य की ओर से शेयर किए गए लिंक में कृषि बिलों पर दिल्ली और पंजाब के मुख्यमंत्री क्रमशः अरविंद केजरीवाल और कैप्टन अमरिंदर सिंह एक-दूसरे पर ही कीचड़ उछाल रहे हैं. अरविंद केजरीवाल कहते हैं कि पंजाब की जनता कैप्टन साहब से जानना चाहती है कि जब आज से डेढ़ साल पहले मोदी सरकार ने इन कृषि बिलों पर एक कमेटी बनाई थी, तो उसमें कैप्टन साहब भी थे. ऐसे में उन्होंने तब इन काले कानूनों पर आवाज क्यों नहीं उठाई. इस पर पलटलार करते हुए कैप्टन अमरिंदर सिंह को दिखाया गया है. कैप्टन साहब कहते हैं कि जिस तरह अन्य राज्यों ने मोदी सरकार में पारित कृषि कानूनों को अपने यहां लागू करने से रोका तो अरविंद केजरीवाल को किसने रोका है. अरविंद केजरीवाल तो बकायदा एक कृषि कानून पर अधिसूचना जारी कर चुके हैं. 

कांग्रेस का दोगलापन तक कहा जा रहा
दुबई की रहने वाली एक ट्विटर यूजर ने लिंक शेयर किया है, जिसमें बिहार का एक किसान कृषि कानूनों पर राजनीतिक कर रहे विपक्ष और कथित किसान नेताओं से प्रश्न पूछ रहा है. उसका कहना है कि मेरे पिताजी किसान है और वह फिलहाल फसल बोने में व्यस्त हैं. यहां तो विरोध के नाम पर कुछ और ही बोआ जा रहा है. उसका सीधा सवाल विपक्षी नेताओं से यही है कि क्या बीते 60 साल में किसान खुशहाल था. इसके साथ ही वह शख्स कांग्रेस पर भी अंगुली उठाता है और विरोध को कांग्रेस का दोगलापन करार देता है. 

शाहीन बाग पार्ट टू की तैयारी
ऐसे तमाम वीडियो शेयर हुए हैं, जिनमें किसान आंदोलन को शाहीन बाग पार्ट टू करार दिया जा रहा है. खासकर किसान आंदोलन की साइट पर बंटती बिरयानी को देखते हुए. हालांकि शाहीन बाग की बिलकिस दादी की मौजूदगी काफी सनसनीखेज रही. बिलकिस दादी के आंदोलन स्थल पर पहुंचने पर उनसे तमाम सवाल पूछे गए. उन्होंने यही कहा कि हमारी सरकार से मांग है कि वह कानून वापस ले ले. हालांकि यह अलग बात है कि उनसे यह सवाल पूछने की कौन से कानून तो दादी न तो यह बता सकी कि क्या आपत्तिजनक है और न ही यह बता सकी कि इनसे किसान को नुकसान क्या होने वाला है.

एकता की मिसाल बदली खोखले इंकलाब में
शाहीन बाग की ही तर्ज पर कुछ वीडियो ऐसे भी सामने आए जिसमें आंदोलनकारी सड़क पर नमाज अदा कर रहे हैं और उनकी इस बंदिगी में कोई रुकावट नहीं आए इसके लिए तमाम लोग उनके इर्दगिर्द घेरा बनाए खड़े दिखते हैं. इसे बतौर एकता की मिसाल बताने के लिए कमेंट्री कर रहा शख्स इंकलाब का नारा भी बुलंद करता है, लेकिन बदले में जिंदाबाद की कोई गूंज नहीं सुनाई देती तो इसके बाद ट्रोलिंग के तमाम सबूत नीचे मिल जाते हैं.