UP: जानिये कहां है अनोखा मुर्गे वाला थाना, मान्यता जानकर चौंक जाएंगे आप  

Chicken Police Station : अगर हम आपसे कहें कि यूपी में एक ऐसा थाना भी है जहां पर मुर्गों की फौज थानेदारी करती है और यूपी पुलिस उन मुर्गों की रखवाली. तो आप आश्चर्य मत कीजिए, क्योंकि यह बात बिल्कुल सही है.

Chicken Police Station : अगर हम आपसे कहें कि यूपी में एक ऐसा थाना भी है जहां पर मुर्गों की फौज थानेदारी करती है और यूपी पुलिस उन मुर्गों की रखवाली. तो आप आश्चर्य मत कीजिए, क्योंकि यह बात बिल्कुल सही है.

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Deepak Pandey
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Chicken Police Station( Photo Credit : File Photo)

Chicken Police Station : अगर हम आपसे कहें कि यूपी में एक ऐसा थाना भी है जहां पर मुर्गों की फौज थानेदारी करती है और यूपी पुलिस उन मुर्गों की रखवाली. तो आप आश्चर्य मत कीजिए, क्योंकि यह बात बिल्कुल सही है. हम उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले की बात कर रहे हैं, जहां पर एक थाना ऐसा है जहां पुलिस वालों से ज्यादा मुर्गों की संख्या है. बस्ती जिले में कप्तानगंज थाना है, जहां पर पुलिसवालों से ज्यादा आपको मुर्गे दिखाई देंगे. 300 से अधिक मुर्गों की संख्या होने से कप्तानगंज थाने में इनका हर तरफ दबदबा है. थाना परिसर में हर तरफ मुर्गों की धमाचौकड़ी की वजह से स्थानीय लोग इसे मुर्गे वाला थाना भी बोलते हैं.

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यह मुर्गे बेखौफ होकर पूरे थाना परिसर में घूमते रहते हैं. कभी थाने के ऑफिस में... कभी हवालात में.. तो कभी दारोगा जी के कुर्सी पर बैठकर यह मुर्गे अपना राज चलाते हैं. थाने में इन मुर्गो के पीछे की एक दिलचस्प मान्यता है और उसी मान्यता के आधार पर आज भी इन मुर्गों को लोग थाने में छोड़ के चले जाते हैं. दरअसल, कप्तानगंज थाना परिसर में एक कोने पर मंदिर और दूसरे कोने पर एक मजार है. स्थानीय लोगों की ऐसी मान्यता है कि शहीद बाबा की इस मजार पर मांगी हर मुराद पूरी हो जाती है और मुराद पूरी होने पर यहां पर जिंदा मुर्गा चढ़ाने की परंपरा है.

बताया जाता है कि जब यहां पर थाना नहीं बना था उसके पहले से यहां पर मजार पर मुर्गा चढ़ाने की परंपरा चली आ रही है. जैसे-जैसे कप्तानगंज थाने का निर्माण हुआ मंदिर और मजार थाना परिसर के अंदर आ गया, लेकिन लोगों की मान्यताएं और परंपरा चलती रही. आज भी हर बृहस्पतिवार को यहां पर लोगों की भारी भीड़ जुटती है और जिनकी मुरादें शहीद बाबा के आशीर्वाद से पूरी होती हैं, वह लोग यहां पर मुर्गा छोड़ के जाते हैं.

ऐसा माना जाता है कि लोग जब इन मुर्गों को थाना परिसर में मजार के पास छोड़कर जब चले जाते हैं उसके बाद से मुर्गे इसी परिसर में रह जाते हैं और यहां से बाहर कभी नहीं निकलते हैं. पुलिस स्टेशन में छोड़े गए इन मुर्गो को न तो कोई खाता है और नहीं बेचता है. मुर्गे बड़ी आसानी से आपको पुलिस स्टेशन में घूमते नजर आ जाएंगे. कहा जाता है कि कुछ साल पहले यहां तैनात एक पुलिस इंस्पेक्टर ने एक मुर्गे को मारकर खा लिया था, लेकिन उसके बाद इंस्पेक्टर को इतनी परेशानी झेलनी पड़ी कि उनको इस मजार पर आकर अपने गुनाहों की माफी मांगनी पड़ी और पुलिस स्टेशन में उन्होंने मुर्गे खरीदकर छोड़ा.

प्रायश्चित करने के बाद ही दारोगा जी को परेशानी से मुक्ति मिली. आज भी इन मुर्गों के खाने-पीने की पूरी जिम्मेदारी यहां पर तैनात पुलिस वाले उठाते हैं. कप्तानगंज थाने के मेस के इंचार्ज सुबह-शाम इन मुर्गों को दाना डालते हैं और दूसरे हिंसक जानवरों से इनकी रक्षा भी करते हैं. पुलिस की परवरिश की वजह से यह मुर्गे पूरे थाने में हर तरफ बेफिक्र होकर घूमते हैं, लेकिन कभी किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचाते हैं. मुर्गे वाले थाने के नाम से मशहूर कप्तानगंज थाने का जायजा लिया.

Source : Deepak Shrivastava

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