स्वतंत्रा आंदोलन में गुमनाम नायकों को कैनवस पर उकेरा, राजपथ पर किया जाएगा प्रदर्शित
पहली बार, पूरे भारत के 500 कलाकार भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के गुमनाम नायकों को समर्पित सबसे लंबे कैनवास पर निर्माण करा है, जिसे गणतंत्र दिवस 2022 पर प्रदर्शित किया जाएगा.
highlights
- चंडीगढ़ में 75 मीटर के कुल 10 स्क्रोल कैनवास पर चित्र बनाए
- इसकी कुल लंबाई 750 मीटर से भी अधिक है
- स्वतंत्रता संग्राम के गुमनाम नायकों को चित्रित किया गया है
नई दिल्ली:
स्वतंत्रा आंदोलन में गुमनाम नायकों को कला माध्यम से एक बड़े कैनवास पर उकेरा गया है. इसका प्रदर्शन गणतंत्र दिवस (Republic Day) पर किया जाएगा. केंद्र सरकार के संस्कृति मंत्रालय (Ministry of Culture) और रक्षा मंत्रालय (Ministry of Defence) के सहयोग से राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्राहालय भुवनेश्वर और चंडीगढ़ में कला कुंभ (Kala Kumbh) का आयोजन किया गया था. इन चित्रों में उनकी वीरता और संघर्ष की कहानियों को दिखाया गया है. इसे गणतंत्र दिवस के मौके पर राजपथ पर प्रदर्शित किया जाएगा. राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय ने बीते 10 दिसंबर से 17 दिसंबर तक कला कुंभ का आयोजन भुवनेश्वर के कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी और सिलिकॉन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में करा था. वहीं, 25 दिसंबर से 2 जनवरी तक चंडीगढ़ स्थित चितकारा विश्वविद्यालय में कलाकुंभ का आयोजन करा गया था.
यहां देश के 500 से ज्यादा कलाकारों ने मिलकर देश के अलग-अलग हिस्सों से संबंधित स्वतंत्रता संग्राम के गुमनाम नायकों के चित्र तैयार किए. कलाकारों ने भुवनेश्वर और चंडीगढ़ में 75 मीटर के कुल 10 स्क्रोल कैनवास पर चित्र बनाए. इसकी कुल लंबाई 750 मीटर से भी अधिक है.
भुवनेश्वर में आयोजित कलाकुंभ में उड़ीसा, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, बंगाल, और आंध्र प्रदेश के स्वतंत्रता संग्राम के गुमनाम नायकों को चित्रित किया गया है. उनमें उनकी वीरता और संघर्ष की कहानी को भी दर्शाया गया है. चंडीगढ़ में चित्रित किए गए स्क्रॉल में लद्दाख, जम्मू, कश्मीर, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, तेलंगाना, तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक के गुमनाम नायकों की वीरता को दर्शाया गया है. भुवनेश्वर और चंडीगढ़ में बनाए इस स्क्रोल्स को 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस परेड में राजपथ पर प्रदर्शित किया जाएगा. इसका उद्देश्य देश के आम लोग गुमनाम नायकों की वीरता और संघर्ष की कहानियों को जान सकें.
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