एक ऐसा फ्लैगमेन जो कहीं भी झंडा पड़ा दिखे अपने घर संजोकर रखता है
हावड़ा निवासी प्रिय रंजन बताते हैं कि वे कहीं भी तिरंगा पड़ा दिखे उसे उठाकर अपने घर ले आते हैं. अब तक वे एक लाख से भी ज्यादा तिरंगे एकत्र कर चुके हैं. उन्हे तिरंगे के अपमान और झूठी देशभक्ति से सख्त नफरत है.
highlights
- सोशल मीडिया पर वायरल हो रही फ्लैगमेन की कहानी
- किसी भी पर्व पर नहीं होने देता राष्ट्रीय झंडे का अपमान
- झंडों से अटा पड़ा है हावड़ा के फ्लैगमेन का घर
New delhi:
आजादी के जश्न पर लोग खूब देशभक्ति के किस्से गढ़ते हैं, अपनी कार, बाइक पर राष्ट्रीय ध्वज लगाकर चलते हैं, लेकिन जैसे ही पर्व गया झंडा उतारकर फेंक देते हैं. 15 अगस्त हो या 26 जनवरी आपको उसके अगले दिन हजारों झंडे सड़कों पर पड़े मिल जाएंगे. पर क्या आपको पता है कि देश में ऐसा फ्लैगमेन भी है जो राष्ट्रीय ध्वज का अपमान बर्दास्त नहीं करता. जहां भी सड़क पर झंडा पड़ा दिखता है. उसे तत्काल उठातक अपने घर लेजाकर सम्मान से कमरे में लगाता है. हावड़ा के इस फ्लैगमेन के किस्से सोसल मीडिया(social media) पर काफी चर्चा में हैं. सोशल प्लेटफार्म पर हावड़ा के फ्लैगमेन की जमकर तारीफ की जा रही है..
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एक लाख से भी ज्यादा तिरंगे
हावड़ा निवासी प्रिय रंजन बताते हैं कि वे कहीं भी तिरंगा पड़ा दिखे उसे उठाकर अपने घर ले आते हैं. अब तक वे एक लाख से भी ज्यादा तिरंगे एकत्र कर चुके हैं. उन्हे तिरंगे के अपमान और झूठी देशभक्ति से सख्त नफरत है. पता नहीं सरकार कब तिरंगे का अपमान करने वालों के खिलाफ कानून बनाएगी. मी़डिया रिपोर्ट के मुताबिक प्रिय रंजन को हावड़ा का फ्लैगमेन कहा जाता है. रंजन बताते हैं कि पहले उनकी मां भी तिरंगे का अपमान नहीं होने देती थी. जहां भी उन्हे तिरंगा दिखता उठाकर घर लाकर कमरे में टांग देती थी.उन्ही की प्रेरणा से उन्हे भी सीख मिली और वह लगभग 10 सालों से तिरंगों को एकत्र करने का काम करते हैं.
घर बना संग्राहलय
जानकारी के मुताबिक हावड़ा के इस फ्लैगमेन का घर संग्राहलय बन गया है. घर में चारो ओर तिरंगे टंगे दिखाई देते हैं. प्रिय रंजन चाहते हैं कि सरकार को राष्ट्रीय ध्वज फेंकने पर कानून बनाना चाहिए. ताकि लोगों को तिरंगे का अपमान करते हुए डर लगने लगे. पता नहीं सरकार तक उसकी बात कब तक पहुंचेगी. जीवन भर वे इस नेक काम को करते रहेंगे. उन्हे सड़क पर पड़े तिरंगे उठाकर घर लाने में गर्व महसूस होता है. साथ ही आनंद की अनुभूति भी होती है.
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