New Delhi:
नागरिकता कानून पर देशव्यापी भ्रम और दुष्प्रचार से उपजे हिंसक विरोध-प्रदर्शन के बीच केंद्र सरकार ने साफ किया है कि नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 का असर मौजूदा नागरिकों पर नहीं पड़ेगा. एनआरसी और सीएए का आपस में कोई संबंध नहीं है. इसके साथ ही मोदी सरकार देशव्यापी एनआरसी के बाद राष्ट्रीय पहचान पत्र (National ID) जारी कर सकती है. कानून में इसका प्रावधान है. इसके साथ ही केंद्र ने फिर स्पष्ट करने की कोशिश की है कि मुस्लिम समुदाय को निशाना नहीं बनाया जा रहा है.
Multilingual graffiti on a wall at Delhi's Jamia Islamic University says a lot about deception employed by Islamists to fool the 'Kaafirs'
— Tarek Fatah (@TarekFatah) December 17, 2019
Hindi -- सब एक हैं
English- Secular India
Arabic - "There is no God other than Allah-AllahOAkbar"
Btw, hardly any Hindu can read Arabic pic.twitter.com/jQh3Pn3Ao5
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सीएए के नियमों को दे रहे अंतिम रूप
सूत्रों के मुताबिक नागरिकता संशोधन कानून के नियमों समेत दिशा-निर्देशों को तैयार किया जा रहा है. इसको लेकर सरकार ने लोगों से अपने सुझाव भेजने का भी आग्रह किया है. साथ ही सरकार सीएए को लागू करने के लिए दृढ़प्रतिज्ञ है. इसके समर्थन में कांग्रेस और विपक्ष के आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए सरकार का साफ-साफ कहना है कि
नागरिकता कानून संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन नहीं है. इसका असर देश के मौजूदा नागरिकों पर नहीं पड़ने वाला. खासकर मुसलमानों को इसको लेकर किसी तरह से भी डरने की कोई जरूरत नहीं है.
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राज्य को लागू करना ही होगा सीएए
कुछ राज्यों ने नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को लागू करने से इंकार कर दिया है. इस पर गृह मंत्रालय के सूत्रों ने कहा है कि कानून को लागू करने का अधिकार केंद्र के पास है. गृह मंत्रालय इसे अंतिम रूप देगा जिसमें सब शामिल होंगे. यह डिजिटल और आसान प्रक्रिया होगी ताकि लोगों को किसी समस्या का सामना नहीं करना पड़े. देश भर में हो रहे विरोध-प्रदर्शन पर गृह मंत्रालय के मुताबिक सभी से विचार-विमर्श करके यह कानून लाए और इस पर चर्चा हुई, लेकिन विरोध में लोगों के पास अदालत जाने का अधिकार है. लोगों के पास विरोध करने का अधिकार है. जो लोग सुझाव देना चाहते हैं वे दे सकते हैं, हम नियम बनाने की प्रक्रिया में हैं.