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सद्गुरु के ट्वीट का निकाला जा रहा गलत मतलब.
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सद्गुरु के ट्वीट का निकाला जा रहा गलत मतलब.
अर्थ का अनर्थ कैसे हो जाता है, इसे फिलहाल आध्यात्मिक गुरु सद्गुरु जग्गी वासुदेव से बेहतर और कौन समझ सकता है. गोल्डन गर्ल हिमा दास को बधाई औऱ आशीर्वाद देता सद्गुरु का ट्वीट विवादों के केंद्र में है. तकनीकी तौर पर देखें तो उनके ट्वीट में कुछ गलत नहीं है, लेकिन यदि महानगरों में चल रही बोलचाल की भाषा यानी 'स्लैंग्स' के नजरिये से देखा जाए तो सद्गुरु की हिमा दास पर की गई ट्वीट किसी भी सभ्य इंसान को अपमानित कर सकती है. संभवतः यही वजह है कि टि्वटर पर सद्गुरु के ट्वीट को लेकर दो खेमे बन गए हैं.
Okay who's gonna tell him? https://t.co/9NalE1fNIU
— Aavi (@poisonaavi) July 23, 2019
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हिमा दास को बताया 'गोल्डन शॉवर'
मसला कुछ यूं है कि सद्गुरु ने हिमा दास के पांचवां गोल्ड जीतने के बाद एक ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने गोल्डन गर्ल के लिए 'गोल्डन शॉवर' विशेषण का इस्तेमाल किया. साथ ही उन्होंने एथलीट को इस उपलब्धि पर बधाई देते हुए सुखद भविष्य की कामना की. इस ट्वीट पर प्रतिक्रिया देने में टि्वटर यूजर्स को कई दिन लग गए, लेकिन जो प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हईं, उससे सद्गुरु के पक्ष-विपक्ष में दो खेमों में वाक् युद्ध शुरू हो गया.
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'गोल्डन शॉवर' पर है आपत्ति
वास्तव में कुछ टि्वटर यूजर्स को सद्गुरु द्वारा इस्तेमाल किए गए 'गोल्डन शॉवर' विशेषण पर आपत्ति है. इनका मानना है कि सद्गुरु जैसा आध्यात्मिक शख्स ऐसी 'अशिष्ट' भाषा का इस्तेमाल कैसे कर सकता है. इसके उलट सद्गुरु का बचाव करने वाले खेमे का मानना है कि सद्गुरु ने 'गोल्डन शॉवर' विशेषण का इस्तेमाल उसके शाब्दिक अर्थ के अनुरूप किया है. ऐसे में उसका गलत अर्थ नहीं निकाला जाए और सद्गुरु की ट्वीट की तुलना किसी अशिष्ट शख्स से नहीं की जाए. आध्यात्मिक गुरू का पक्ष लेने वाले टि्वटर यूजर्स का कहना है कि सद्गुरु कोई फर्जी संत या बाबा नहीं हैं. ऐसे में उनकी भावना समझी जाए और उनकी भाषा को सही अर्थों में ही लिया जाए.
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स्लैंग भाषा में यह है अर्थ
वास्तव में आम बोलचाल की भाषा में या कहें कि प्रचलित स्लैंग्स के हिसाब से सद्गुरु द्वारा हिमा दास के सम्मान में इस्तेमाल किया गया 'गोल्डन शॉवर' विशेषण अपमानित करता है. इसका इस्तेमाल ऐसे शख्स के लिए करते हैं जो महज यौन सुख प्राप्त करने के लिए किसी के शरीर पर पेशाब करता हो. जाहिर सी बात है कि सद्गुरु ने इसे स्लैंग बतौर अपनी ट्वीट में इस्तेमाल नहीं किया है, बल्कि उन्होंने इसके शाब्दिक अर्थ की खातिर इसका प्रयोग किया. सद्गुरु की प्रतिष्ठा और भावनाओं को समझते हुए एक टि्वटर यूजर ने लिखा, 'ठीक है, लेकिन सद्गुरु को यह बात बताएगा कौन?' इस तरह से देखें तो सद्गुरु के पक्ष में टि्वटर पर दो खेमें बन गए हैं, जो अपने-अपने हिसाब से उनका विरोध या समर्थन कर रहे हैं.
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