बिहार के 87 वर्षीय भोलेनाथ की प्रेम कहानी आपको रोने पर कर देगी मजबूर, विश्वास नहीं तो पढ़े पूरी स्टोरी

बिहार में एक ऐसे पति भी हैं जिन्होंने अपनी पत्नी से प्रेम का इजहार करने के लिए अनूठा प्रण लिया है.पूर्णिया के रूपौली के रहने वाले 87 वर्षीय बुजुर्ग भोलानाथ आलोक 27 सालों से अपनी पत्नी की अस्थियां संजोकर अपने मरने का इंतजार कर रहे हैं.

बिहार में एक ऐसे पति भी हैं जिन्होंने अपनी पत्नी से प्रेम का इजहार करने के लिए अनूठा प्रण लिया है.पूर्णिया के रूपौली के रहने वाले 87 वर्षीय बुजुर्ग भोलानाथ आलोक 27 सालों से अपनी पत्नी की अस्थियां संजोकर अपने मरने का इंतजार कर रहे हैं.

author-image
nitu pandey
New Update
बिहार के 87 वर्षीय भोलेनाथ की प्रेम कहानी आपको रोने पर कर देगी मजबूर, विश्वास नहीं तो पढ़े पूरी स्टोरी

भोलेनाथ अपनी पत्नी की अस्थि के साथ (फोटो:IANS)

आमतौर पर वट सावित्री पर्व हो या करवाचौथ या तीज पर्व हो, महिला अपने पति के प्रति अपने प्रेम और उनकी लंबी आयु की कामना के साथ उपवास रखती हैं, पति भी कई मौके पर अपनी पत्नी से प्रेम का इजहार करते हैं परंतु बिहार में एक ऐसे पति भी हैं जिन्होंने अपनी पत्नी से प्रेम का इजहार करने के लिए अनूठा प्रण लिया है. पूर्णिया के रूपौली के रहने वाले 87 वर्षीय बुजुर्ग भोलानाथ आलोक 27 सालों से अपनी पत्नी की अस्थियां संजोकर अपने मरने का इंतजार कर रहे हैं. उनकी चाहत इतनी है कि उनकी मौत के बाद उनकी अंतिम यात्रा के समय ये अस्थियां भी उनके सीने से लगी हों.

Advertisment

भोलानाथ ने कहा, 'हमारी शादी कम उम्र में हो गई थी और तभी हम दोनों ने साथ जीने-मरने की कसमें खाई थी. वह (पत्नी) तो चली गई परंतु मैं मर नहीं सका परंतु मैंने उनकी यादें संजोकर रखी हैं.'

इसे भी पढ़ें:बीयर बार जा पहुंची 3 साल की बच्ची, कहा- दूध की बोतल दो लगी है भूख, देखें Viral Video

उन्होंने घर के बगीचे में एक पेड़ पर लटकी पोटली दिखाते हुए कहा कि 27 सालों से पत्नी की अस्थियों को टहनी से टांगकर सुरक्षित रखा है.

बकौल भोलानाथ, 'मेरी पद्मा (पत्नी का नाम) भले ही नहीं हैं, लेकिन ये अस्थियां उनकी यादें मिटने नहीं देतीं. जब भी किसी परेशानी में होता हूं, तो लगता है वह यहीं हैं. बच्चों को भी कह रखा है कि मेरी अंतिम यात्रा में पत्नी की अस्थियों की पोटली साथ ले जाना और चिता पर मेरी छाती से लगाकर ही अंतिम संस्कार करना.'

नम आंखों से भोलानाथ ने कहा कि अपने वादे को निभाने के लिए उन्हें कोई और तरीका नहीं दिखा इसलिए उन्होंने यही तरीका अपनाया. भोलानाथ प्रतिदिन इन अस्थियों को देखते और सहलाते हैं.

पत्नी की बात करने पर आज भी भोलानाथ की आंखों से आंसुओं के रूप में पत्नी का प्रेम छलक पड़ता है.

वे बताते हैं, 'पद्मा का भगवान पर बड़ा विश्वास था. हम दोनों की जिंदगी बढ़िया से कट रह थी परंतु करीब 27 साल पहले पत्नी बीमार हुईं. इलाज और दवा में कोई कमी नहीं हुई पर कहते हैं न कि अच्छे व्यक्ति को भगवान जल्दी अपने पास बुला लेते हैं. भगवान ने पद्मा को भी बुला लिया और पद्मा अपना वादा तोड़कर चली गई. इसके बाद हमने बच्चों की परवरिश की और अब वे बड़े हो गए.'

भोलानाथ गर्व से कहते हैं, 'इस सामाजिक जीवन के उधेड़बुन में भी मैं पद्मा को नहीं भूला. पत्नी के साथ मर तो नहीं सकता था. परंतु उनके छोड़ जाने का गम मैं अब तक नहीं भूल पाया.'

उन्होंने कहा, 'बगीचे के एक आम के पेड़ में उनकी अस्थियां एक कलश में समेट कर रखा हूं. वहीं नीचे तुलसी का पौधा लगा हुआ है.'

आज भोलानाथ की यह प्रेम कहानी लोगों के लिए चर्चा का विषय बनी हुई है. भोलानाथ गर्व से कहते हैं, 'यहां ना सही परंतु ऊपर जब पद्मा से मिलूंगा, तब यह तो बता सकूंगा कि मैंने अपना वादा निभाया.'

और पढ़ें:बिहार की एक महिला जो कमर में बांध कर चलती हैं पिस्टल, वजह जानकर देंगे दाद

उन्होंने कहा कि पृथ्वीलोक में हम दोनों साथ जी भले ही नहीं सके पर साथ मरने का सुकून तो जरूर मिलेगा.

भोलानाथ के दामाद अशोक सिंह कहते हैं कि यह प्रेम का अनूठा उदाहरण है. उन्होंने कहा कि उनकी अंतिम इच्छा हमलोग जरूर पूरी करेंगे. उन्होंने कहा कि ऐसे बिरले ही होते हैं. उन्होने कहा कि पानी, धूप से बचने के लिए इस कलश को प्लास्टिक और फिर ऊपर से कपड़े से बांधकर रखा गया है.

Bihar News Bihar Love Story
      
Advertisment