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कर्ज न चुका पाने के कारण इस शख्स ने 17 वर्ष तक जंगल में काटे, जानिए क्या है पूरा सच 

मामूली कर्ज न चुका पाने के कारण कनार्टक के एक शख्स को बीते 17 वर्षों तक जंगल में बिताने पड़े. वह अपनी जर्जर हो चुकी सफेद एंबेसडर कार में जीने को मजबूर है .

Updated on: 10 Oct 2021, 02:32 PM

highlights

  • वर्ष 2003 में उन्होंने एक सहकारी बैंक से 40,000 रुपये का कर्ज (एग्रीकल्चर लोन) लिया.
  • चंद्रशेखर के पास नेकराल केमराजे गांव में 1.5 एकड़ जमीन थी.
  • लोन न चुकाने पर बैंक ने उनके खेत नीलाम कर दिए.

 

नई दिल्ली:

मामूली कर्ज न चुका पाने के कारण कनार्टक के एक शख्स को बीते 17 वर्षों तक जंगल में बिताने पड़े. वह अपनी जर्जर हो चुकी सफेद एंबेसडर कार में जीने को मजबूर है। इस शख्स का नाम चंद्रशेखर गौड़ा है. इनकी उम्र 56 वर्ष है। दरअसल एक छोटे सा लोन न चुका पाने के कारण उन्होंने अपनी 1.5 एकड़ जमीन खो दी, जिसके बाद उन्हें घने जंगल के बीच अपनी कार में रहना पड़ रहा है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार चंद्रशेखर लंबे वक्त से दक्षिण कन्नड़ जिले सुलिया के पास घने जंगल में रह रहे हैं। उनसे मिलने के लिए जंगल में तीन से चार किलोमीटर तक का सफर तय करना होता है.

जंगल के बीच खड़ी है एंबेसडर कार

यहां पर उनकी एक जर्जर एंबेसडर कार खड़ी हुई है। हैरत की बात है कि इतने साल बीत जाने के बाद भी उनकी कार का रेडियो खराब नहीं हुआ। चंद्रशेखर का शरीर काफी दुर्बल हो चुका है. उनके सिर पर बहुत कम बाल हैं. काफी समय से उन्होंने अपनी दाढ़ी नहीं बनाई है। इस कारण यह काफी लंबी हो गई है। उनके पास तन को ढंकने के लिए कपड़े तक नहीं हैं. वह फटे हुए कपड़ों में जीने को मजबूर हैं. 

रिपोर्ट के अनुसार, चंद्रशेखर के पास नेकराल केमराजे गांव में 1.5 एकड़ जमीन थी. इस पर वह सुपारी की खेती करते थे. उस समय उनका जीवन काफी बेहतर चल रहा था। वर्ष 2003 में उन्होंने एक सहकारी बैंक से 40,000 रुपये का कर्ज (एग्रीकल्चर लोन) लिया. कई कोशिश के बाद भी वह उसे चुका नहीं पाया. ऐसे में बैंक ने उनके खेत नीलाम कर दिए. इस घटना ने चंद्रशेखर को अंदर से तोड़ दिया और उनकी जिंदगी ने अजीब सी करवट ली. 

बहन के परिवार से हो गया झगड़ा

बैंक ने उनकी जमीन जब्त कर ली और उनके के पास रहने को घर भी नहीं बचा. ऐसे में उन्होंने अपनी एंबेसडर कार ली और बहन के घर आ गए. मगर कुछ दिन बाद ही बहन के परिवार से उनकी अनबन शुरू हो गई. इसके बाद उन्होंने एकांत में रहने का मन बनाया.  ड्राइव कर वह दूर घने जंगल में निकल गए। यहां पर उन्होंने अपनी फेवरेट एंबेसडर कार को पार्क किया और धूप व बारिश से बचने को लेकर प्‍लास्टिक की शीट से ढक दिया.

चंद्रशेखर 17 साल से कार के अंदर एकांत में जीवन बीता रहे हैं. वह नदी में नहाते हैं और अपने चारों ओर पड़ी सूखी बेल से टोकरिया बुनकर उन्हें अदतले (Adtale) गांव की एक दुकान पर बेचते हैं, और बदले अनाज ले लेते हैं। उनकी सिर्फ एक ही तमन्ना है कि उन्हें अपनी जमीन वापस मिल जाए. इसके लिए उन्होंने अपने सभी दस्तावेजों को संभालकर रखा है.