Holi 2019: होली का पाकिस्तान से ये है कनेक्‍शन, वजह जानकर रह जाएंगे हैरान

रंग और उल्‍लास का त्‍योहार होली का भारत में जितना महत्‍व है उससे बड़ा कनेक्‍शन पाकिस्‍तान से है.

रंग और उल्‍लास का त्‍योहार होली का भारत में जितना महत्‍व है उससे बड़ा कनेक्‍शन पाकिस्‍तान से है.

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Drigraj Madheshia
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Holi 2019: होली का पाकिस्तान से ये है कनेक्‍शन, वजह जानकर रह जाएंगे हैरान

रंग और उल्‍लास का त्‍योहार होली का भारत में जितना महत्‍व है उससे बड़ा कनेक्‍शन पाकिस्‍तान से है. दरअसल, होली का जिन प्रहलाद और नरसिंह भगवान से कनेक्शन है उनकी मंदिर पाकिस्तान के शहर मुल्तान में है.पाकिस्तान के मुल्तान शहर में प्रल्हादपुरी मंदिर मौजूद है. राजा हिरण्यकश्यप के बेटे प्रल्हाद ने विष्णु के अवतार भगवान नरसिंह के सम्मान में यही मंदिर बनवाया था. वह भगवान नरसिंह ही थे जिन्होंने खंभे से दर्शन देकर भक्त प्रल्हाद की जान बचाई थी.

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इसके बाद ही इसी मंदिर से होली की शुरुआत हुई. बता दें कि इसके बाद से ही यहां दो दिनों तक होलिका दहन उत्सव मनाया जाता था और पूरे नौ दिनों तक होली मनाई जाती थी. लेकिन अब भगवान नरसिंह के इस पहले मंदिर को नुकसान पहुंचा दिया गया है.

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स्पीकिंग ट्री की खबर के मुताबिक, जब भारत में बाबरी मस्जिद गिराई गई थी तो पाकिस्तान में कई हिंदू मंदिरों को गिराया गया था. इसमें से एक मुल्तान का यह प्रल्हादपुरी मंदिर भी था जिसे नुकसान पहुंचाया गया और इसे क्षतिग्रस्त कर दिया गया.

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हालांकि इस मंदिर में रखी भगवान नरसिंह की मूर्ति अब हरिद्वार आ चुकी है, जिसे बाबा नारायण दास बत्रा भारत लेकर आए थे. वह प्रसिद्ध वयोवृद्ध संत हैं. बाबा नारायण दास ने भारत में कई स्कूलों और कॉलेजों का निर्माण कराया है. उन्हें साल 2018 में भारत के प्रतिष्ठित नागरिक सम्मान पद्मश्री से भी नवाज़ा गया है.

होली के कुछ रोचक तथ्‍य

  • इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने पूतना नामक राक्षसी का वध किया था जिसके खुशी में गांववालों ने बृंदावन में होली का त्यौहार मनाया था.इसी पूर्णिमा को भगवान श्रीकृष्ण ने गोपियों के साथ रासलीला रचाई थी और दूसरे दिन रंग खेलने के उत्सव मनाया, तब से रंग खेलने का प्रचलन है जिसकी शुरुआत वृन्दावन से ही हुई थी.
  • वैदिक काल में होली के पर्व को न्वान्नेष्ठ यज्ञ कहा जाता था. इस यज्ञ में अधपके अन्न को यज्ञ में हवन करके प्रसाद लेने का विधान समाज में था. उस अन्न को होला कहते है तब से इसे होलिकात्स्व कहा जाने लगा.
  • श्री ब्रह्मपुराण में लिखा है कि फाल्‍गुन पूर्णिमा के दिन चित्त को एकाग्र करके हिंडोले में झूलते हुए श्रीगोविन्द पुरुषोत्तम के दर्शन करने जाते हैं, वो निश्चय ही बैकुंठ लोक को जाते हैं.
  • धार्मिक दृष्टि से होली में लोग रंगों से बदरंग चेहरों और कपड़ों के साथ जो अपनी वेशभूषा बनाते हैं वह भगवान शिव के गणों की है. उनका नाचना गाना हुडदंग मचाना और शिवजी की बारात का दृश्य उपस्थित करता है इसलिए होली का संबंध भगवान शिव से भी जोड़ा जाता है.

Source : News Nation Bureau

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