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वायरल खबर( Photo Credit : SOCIAL MEDIA)
भारत में तप और यज्ञ की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है. हम आज भी सुनते आ रहे हैं कि ऋषि-मुनि तपस्या में इतने लीन हो जाते थे कि भगवान को धरती पर आना पड़ता था. यानी एक ऐसी मान्यता जिसकी आज कल्पना करना भी मुश्किल है. लेकिन आज भी कुछ ऐसे हठयोगी और साधु हैं जो लोगों को सोचने पर मजबूर कर देते हैं. हम आपके साथ शेयर करने जा रहे हैं एक ऐसे ऋषि की कहानी, जिसके बारे में जानने के बाद आपको यकीन नहीं होगा कि आज भी ऐसे लोग हैं जो भगवान को पाने के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं. जो विश्व में शांति के लिए अपने शरीर को त्याग करने के लिए सारे हदें पार कर सकते हैं.
असल में इस साधान का उद्देश्य क्या है?
यह एक ऐसे ही साधक की कहानी है, जो मध्य प्रदेश के दमोह जिले से 56 किलोमीटर दूर तेंदूखेड़ा तहसील से सामने आई है. विश्व में शांति के लिए एक साधक पिछले 8 महीने से गंगोत्री से जल भरकर रामेश्वरम जा रहे हैं और इसमें सबसे हैरान करने वाली बात है कि माथा टेकते हुए रास्ता तय कर रहे हैं. इस संबंध में साधु का कहना है कि देश में तेजी से बढ़ रही पश्चिमी संस्कृति का असर धर्म पर पड़ रहा है. यह ख़त्म होना चाहिए और लोगों को अपने धर्म के प्रति जागरूक होना चाहिए. देश में रामराज की स्थापना होनी चाहिए. उन्होंने बताया कि यह साधना रामेश्वरम तक चलेगी.
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आखिर कहां के रहने वाला हैं बाबा?
ये साधक में मोनी बाबा आश्रम गुडला पाड़ी करौली राजस्थान के रहने वाले हैं. जहां ये राजगिरी महाराज के रूप में जानें जाते हैं. साधक की उम्र महज 45 वर्ष है. इस यात्रा को उन्होंने 14 अप्रैल को गंगोत्री से जलभर कर शुरूआत की है. इस कठिन साधना को 8 महीने पूरे हो गए हैं और अबतक हजारों किलोमीटर का रास्ता खत्म कर लिया है. इनके साथ दो शिष्य भी है, जो साधक के लिए सहारा बने हुए हैं. शिष्यों ने भी बताया कि आज का यूथ पश्चिमी सभ्यता की तरफ काफी आर्कषित हो रहा है. ऐसे में युवाओं को अपने धर्म के प्रति जागरूक हो और अपने धर्म के मूल्य को समझें और हमारा धर्म हमें क्या सीख ये जानें. इस यात्रा को समाप्त होने में बहुत समय लगेगा और हम अंत तक अपनी यात्रा जारी रखेंगे.
Source : News Nation Bureau