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corona virus( Photo Credit : News Nation)
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corona virus( Photo Credit : News Nation)
कोरोना महामारी (Coronavirus) से पूरा देश जूझ रहा है. हर रोज लाखों नए मरीज सामने आ रहे हैं, तो मरने वालों की संख्या में बड़ी तेजी के साथ इजाफा हो रहा है. जिससे पूरे देश में हाहाकार मचा हुआ है. ऐसे में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं हेल्थ वर्कर (Health Workers). निराशा के इस दौर में भी कुछ लोगों के हैसले की कहानी है जो दिल में आशा का दीया जलाती है. डॉक्टर स्वप्ना (Dr. Swapna) जो की नोएडा के सेक्टर 24 स्थित ईएसआई (ESI) में कार्यरत हैं उन्होंने कोविड-19 (Covid-19) के कारण अपने पिता, मां और भाई को खो दिया. इस विपत्ति में खुद को मजबूत करते हुए डॉक्टर स्वप्ना कोरोना संक्रमितों की सेवा में लगी हुई है.
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मूलरूप से बिहार के मुजफ्फरपुर निवासी डॉ. स्वप्ना सेक्टर 24 स्थित ईएसआई अस्पताल में नियुक्त हैं और सेक्टर 15 में पति व 2 बच्चों के साथ रहती हैं. वे स्त्री रोग चिकित्सक हैं. ऐसे में उनकी जिम्मेदारी कोविड महिलाओं के प्रसव और उनके इलाज की है. पति सेक्टर 62 स्थित एक निजी अस्पताल में हड्डी रोग विशेषज्ञ हैं और इन दिनों कोविड रोगियों के क्रिटिकल केयर में तैनात हैं. पिछले साल अगस्त में डॉ. स्वप्ना के पिता की मृत्यु हो गई थी. वे क्लीनिक में मरीजों का इलाज करते थे.
हाल ही में कोरोना के कारण डॉक्टर स्वप्ना की मां का निधन हो गया. कोरोना संक्रमित उनकी मां को मुजफ्फरपुर के किसी भी अस्पताल में बेड नहीं मिला था बाद में उनकी मृत्यु हो गई. उनका एक भाई 39 वर्षीय भाई फरीदाबाद की आईटी कंपनी में एचआर का काम करता था. बुधवार रात उसकी भी कोरोना के कारण मृत्यु हो गई. डॉक्टर स्वप्ना ने मीडिया को बताया कि अब उनके घर में सिर्फ एक भाई और उसका परिवार है. मायके में मां-बाप और भाई के निधन पर भी डॉ. स्वप्ना जा नहीं पाईं.
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पिछले साल उनके पिता का भी निधन हो गया था. अपने कर्तव्य के चलते डॉ. स्वप्ना अपने पिता को भी अंतिम समय देखने नहीं जा सकी थीं. डॉक्टर स्वप्ना के पिता भी पेशे थे डॉक्टर थे. वे क्लीनिक में मरीजों का इलाज करते थे. परिजनों ने मीडिया को बताया कि अधिक उम्र होने के कारण उन्हें कोविड काल में मरीजों का इलाज करने से मना किया गया था लेकिन उनका कहना था कि इस आपदा के समय रोगियों के उपचार से वे पीछे नहीं हट सकते. इस दौरान वे कोरोना संक्रमित हो गए थे.
डॉ. स्वप्ना ने मीडिया से कहा कि इस कोरोना महामारी में मरीजों का इलाज ही उनका पहला कर्तव्य है. उन्हें सिर्फ बच्चों की चिंता रहती, क्योंकि वे और उनके पति, दोनों कोविड ड्यूटी पर रहते है. ऐसे में डर लगता है कि कहीं उनके जरिए घर में कोरोना संक्रमण न पहुंच जाए औप बच्चे ना संक्रमित हो जाए.
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