logo-image

सांपों को पालते हैं ये बौद्ध भिक्षु, फिर उनका क्या करते हैं?

एक शख्स को सांपों और अजगरों से बहुत लगाव है. या यूं कहें की एक दम शिद्दत वाला प्यार है.

Updated on: 06 Dec 2020, 11:58 AM

यांगून:

अमूमन आपने डॉग लवर, कैट लवर या एनिमल लवर तो सुना होगा लेकिन क्या आपने रेपटाइल लवर सुना है? दरअसल, एक शख्स को सांपों और अजगरों से बहुत लगाव है. या यूं कहें की एक दम शिद्दत वाला प्यार है. आपको बता दें कि म्यांमार के यांगून में स्थित ठुका टेटो मठ में 69 साल के बौद्ध भिक्षु विलेथा ने अजगर और कोबरा समेत कई सांपों के लिए आश्रय स्थल बनाया हुआ है. उन्होंने ऐसा इन जहरीले सांपों की जान को सुरक्षित रखने के लिए और उन्हें काला बाजारी का शिकार होने से बचाने के लिए किया है. वो सांपों को अपने बच्चों की तरह रखते हैं.

न्यूज़ एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक ये कार्य उन्होंने 5 साल पहले शुरू किया था. वहां रहने वालों के अलावा, सरकारी एजेंसियां ​​भी भिक्षुओं द्वारा पकड़े सांपों को बाद में उनसे लेकर जंगल में छोड़ देती हैं. अपने गमछे के जरिए सांपों की सफाई करने वाले बौद्ध भिक्षु विलेथा ने बताया कि वह प्रकृति के पारिस्थितिक चक्र की रक्षा कर रहे हैं.

विलेथा ने आगे कहा, "जब लोग सांपों को पकड़ लेते हैं, तो वो अमूमन खरीदार को ढूंढने की कोशिश करते हैं." आपको बता दें कि इन भिक्षुओं को सांपों को खिलाने के लिए लगभग 300 अमरीकी डॉलर के दान पर निर्भर रहना पड़ता है और विलेथा सांपों को संरक्षण में तब तक रखते हैं जब तक उन्हें लगता है कि वो जंगल में छोड़े जाने के लिए तैयार नहीं हैं. 

Buddhist monk Wilatha

आपको जानकारी दे दें कि विलेथा ने हलावा नेशनल पार्क में कई सांपों को छोड़ा था. उनका कहना है कि वह उन्हें धीरे-धीरे स्वतंत्र होता देख खुश हैं. विलेथा ने रॉयटर्स से कहा कि अगर वो सांप फिर से पकड़े गए तो वो चिंतित हो जाएंगे. अगर उन्हें बुरे लोगों ने पकड़ लिया तो ये सांप काला बाजार में बेच दिए जाएंगे"

लेकिन आपको ये भी बता दें कि सांपों का ताउम्र इस तरह नहीं रखा जा सकता. वन्यजीव संरक्षण समिति के सदस्य, कलियर प्लाट ने जानकारी दी, "अमूमन लोगों के पास रहने से सांपों में तनाव पैदा होता है" संरक्षणवादियों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक, म्यांमार अवैध वन्यजीव व्यापार का केंद्र बन गया है, जिससे ज्यादातर चीन और थाईलैंड जैसे देशों में तस्करी होती है.