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सेना से रिटायर होकर लौटा फौजी, तो गांव वालों ऐसे किया स्वागत, Video Viral

नीमच जिले के जीरन गांव से 60 लोग फौज में नौकरी कर रहे हैं. इन्हीं में से एक फौजी विजय बहादुर सिंह अपनी 17 साल की फौज की नौकरी से रिटायर्ड होकर जब अपने गांव पहुंचे तो गांव के लोगों ने उन्हें जबरजस्त सरप्राइज दी है.

Updated on: 05 Feb 2021, 07:49 PM

नीमच:

बॉर्डर पर देश की सुरक्षा में तैनात एक जवान जब अपनी 17 साल की सेवा पूरी कर अपने गांव लौटा तो उसका इस तरह से स्वागत हुआ कि जिसकी जवान ने भी कल्पना नहीं की थी. दरअसल, एमपी के नीमच जिले में ग्रामीणों ने रिटायर होकर गांव लौटे फौजी का दिल जीत लिया है. स्वागत का यह वीडियो देख आप भी गांव के लोगों को सैल्यूट करेंगे. ग्रामीणों का प्यार और सम्मान देख लोग रिटायर्ड फौजी भावुक हो गए. गांव में उनकी आगवानी के लिए ढोल नगाड़े की व्यवस्था की गई थी. यहां नायक विजय बहादुर सिंह 17 साल की सेवा पूरी कर बुधवार को जैसे ही अपने गांव लौटे तो पूरा गांव उनके स्वागत के लिए तैयार था. जैसे ही विजय गांव में पहुंचे तो लोगों ने उनके पांव जमीन पर नहीं पड़ने दिए और अपनी हथेलियां बिछाकर उनका स्वागत किया.

दरअसल, नीमच जिले के जीरन गांव से 60 लोग फौज में नौकरी कर रहे हैं. इन्हीं में से एक फौजी विजय बहादुर सिंह अपनी 17 साल की फौज की नौकरी से रिटायर्ड होकर जब अपने गांव पहुंचे तो गांव के लोगों ने उन्हें जबरजस्त सरप्राइज दी है. फौजी विजय बहादुर सबसे पहले शहर से गांव पहुंचे, जहां उन्हें गांव के प्राचीन मंदिर में दर्शन करना था. उनके लिए गांव वालों ने किसी कालीन की जगह अपनी हथेलियों को जमीन पर रख दिया, जिस पर चलकर फौजी गांव के प्राचीन गणेश मंदिर में पहुंचे. गांव वालों ने फौजी का जुलूस निकालकर स्वागत भी किया है.

सोशल मीडिया पर विजय बहादुर के स्वागत का वीडियो वायरल हो रहा है. इस दौरान वहां देशभक्ति गाने भी बजते हुए सुनाई दे रहे हैं. इस गांव में करीब 60 लोग आर्मी में नौकरी करते हैं. जैसे ही विजय बहादुर सिंह अपने गांव लौटे तो गांव वालों ने अपने हाथ जमीन पर बिछाकर फौजी से अपने पांव रखवाएं और फिर उन्हें  माला पहनाकर गांव में स्थित गणेश मंदिर के दर्शन करवाए. इस तरह का स्वागत देखकर विजय बहादुर भी भावुक हो उठे. नीमच जिले के जीरन गांव के विजय बहादुर सिंह भारतीय सेना में रहते हुए देश के अलग-अलग राज्यो में अपनी सेवाएं देकर 17 साल की नौकरी पूरी करके गांव लौटे हैं. अपने गांव वालों का इतना प्रेम देखकर फौजी विजय बहादुर सिंह के पास अपने गांव वालों के लिए शब्द ही कम पड़ गए हैं.