शराब के नशे में लगी शर्त, पहुंच गए ताजिकिस्तान, दौड़ना पड़ा 400 किलोमीटर
ग्लोब को घूमाया गया और फिर उसपर ऊंगली रखी गई. ऊंगली ताजिकिस्तान पर पड़ गया. होश में आने के बाद तीनों ने शर्त को पूरा करने का फैसला किया और ताजिकिस्तान पहुंच गए.
नई दिल्ली :
कहते हैं अपनी जिंदगी में जो हम खुद से एक रिश्ता चुनते हैं वो दोस्त होता है. दोस्तों के साथ बिताए पल कभी भूले नहीं भूलते. दोस्ती में शर्त लगती है नहीं पूरा होने पर सजा भी मिलती है. लेकिन कभी-कभी कुछ शर्त ऐसे होते हैं जिसे पूरा करने में मजा भी आता है. हर इंसान के जीवन में दोस्तों से लगाई गई शर्त याद बन जाती है. यादों में शुमार हो भी क्यों ना क्योंकि शर्त कोई सीधा नहीं होता, बल्कि अजीबो गरीब होता है. ऐसी ही अजीबो गरीब शर्त को पूरा करने के लिए तीन दोस्तों को 400 किलोमीटर दौड़ना पड़ा वो भी ताजिकिस्तान में.
कहानी तीन दोस्तों की है जिन्होंने शराब के नशे में शर्त लगाई और होश आने पर ताजिकिस्तान पहुंच गए. इस खबर को छापा है ‘मिरर यूके’ ने. 'मिरर यूके' के मुताबिक तीन दोस्तों का नाम है जॉडी ब्रैगर, जोडी गॉल्ड और गेबे. जॉडी ब्रैगर और गेबे पार्टी कर रहे थे. कुछ ड्रिंक के बाद दोनों ने तय किया कि एक ग्लोब को घूमाएंगे और जहां उंगली रखेंगे वहां दौड़कर जाएंगे.
ताजिकिस्तान ले गई किस्मत
ग्लोब को घूमाया गया और फिर उसपर ऊंगली रखी गई. ऊंगली ताजिकिस्तान पर पड़ गया. होश में आने के बाद शर्त को पूरा करने का फैसला किया. दोनों ने अपनी तीसरी दोस्त जोडी गोल्ड को भी शामिल कर लिया और तीनों ताजिकिस्तान पहुंच गए. जहां वे अफगानिस्तान की सीमा से लगे चीन और ताजिकिस्तान की बारटांग घाटी तक दौड़े. इस क्षेत्र को दुनिया के दुर्गम पहाड़ी इलाकों में से एक माना जाता है.
शर्त पूरा करने का ऐसा जुनून था कि बिना जानकारी उस जगह पहुंच गए
जॉडी ब्रैगर ने ‘मिरर’ से कहा, ‘मैं दौड़ने में बहुत अच्छा हूं. लेकिन शराब पीने में उससे भी बेहतर हूं. जब नशे में यह थी शर्त लगी तो मुझे ताजिकिस्तान के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. लेकिन शर्त को पूरा करने का जुनून ऐसा था कि सब होता चला गया. रेस की शुरुआत के दौरान हमारे पास एक मैप था, और रास्ते को लेकर थोड़ी बहुत जानकारी.
वो आगे बताया कि रास्ता काफी लंबा था लेकिन हमने सोच लिया था कि हम कर सकते हैं. इसलिए इस सफर के दौरान बीमारी, चोटों, कुदरती बाधाओं, चिलचिलाती गर्मी और वीजा जैसी कई चुनौतियों का सामना कर ‘दुनिया की छत’ कहे जाने वाले पामीर के पठार को पार करते हुए हमने शर्त को पूरा किया. यकीनन ये हमारी जिंदगी का सबसे रोमांचक सफर रहा
जॉडी ने बताया कि वो अफगानिस्तान में एक सैन्य अधिकारी के रूप में सेवा की है. वापस जाकर मैं अपने जीवन के उस हिस्से को पीछे रख सकूंगा.
सात दिन में दौड़ कर पहुंचे मंजिल तक
इन तीनों दोस्तों ने इस रेस को 7 दिनों में कुरकुल झील पर पहुंचकर पूरा किया. उनकी मानें तो वे हर दिन लगभग मैराथन से भी ज्यादा दौड़ते थे. जॉडी ने कहा कि यह रेस इसलिए नहीं खास क्योंकि हमने इसे कम समय में पूरा किया, बल्कि हम वहां दौड़े जिसके बारे में कुछ जानते नहीं थे.
तीनों दोस्तों के रेस को फिल्माया गया
इस रेस को फिल्माया भी गया. जोडी गोल्ड जो इस रेस को फिल्माया है उन्होंने कहा कि गेबे ने मुझे फोन करके पूछा था कि क्या आप ताजिकिस्तान में 10 दिन दौड़ने के लिए हमारे साथ आना चाहती हैं? इस तरह मैं प्लान का हिस्सा बनी. इन दोस्तों की इस अजब रेस को ‘सोर्सी फिल्म्स’ के एलेक्सिस टायमन और बेन क्रोक ने डॉक्यूमेंट किया है.
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