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तो क्या आप अब भी यही सोचते हैं कि हमने गलत प्रधानमंत्री चुना है? तो ये स्टोरी आपके लिए ही है

अपनी बुक में दोनों पुरुषों का नाम लिखने वाली महिला Leena Sarma अभी भारतीय रेलवे में एक उच्च पद पर कार्यरत हैं.

Updated on: 16 Mar 2020, 05:23 PM

नई दिल्ली:

लगातार 4 बार गुजरात के मुख्यमंत्री रहने के बाद नरेंद्र मोदी साल 2014 में पहली बार देश के प्रधानमंत्री बने. देश की जनता ने पीएम मोदी पर भरोसा जताया और साल 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी ने एक बार फिर प्रचंड बहुमत के साथ देश में सरकार बनाई. लगातार 4 बार गुजरात के मुख्यमंत्री रहे नरेंद्र दामोदर दास मोदी लगातार दूसरी बार देश के प्रधानमंत्री चुने गए. लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नेतृत्व सभी को पसंद नहीं आया, हालांकि इस बात में कोई दो राय नहीं है कि नरेंद्र मोदी के समर्थकों की संख्या आलोचकों की संख्या से कई गुणा ज्यादा है.

सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है पोस्ट
सोशल मीडिया साइट फेसबुक पर एक पोस्ट वायरल हो रही है. पोस्ट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जीवन से जुड़ी एक घटना के बारे में बताया गया है. निश्चित रूप से इस पोस्ट को पढ़ने के बाद आप निश्चित रूप से पीएम मोदी से काफी प्रभावित होंगे. फेसबुक पोस्ट के मुताबिक, ''1990 की घटना.. असम से दो सहेलियां रेलवे में भर्ती के लिए गुजरात रवाना हुईं. रास्ते में एक स्टेशन पर उन्हें गाड़ी बदलकर आगे का सफर करना था, लेकिन पहली गाड़ी में कुछ लड़कों ने उनके साथ छेड़खानी की थी. इस वजह से अगली गाड़ी में तो कम से कम सफर सुखद हो, यही आशा लिए दोनों लड़कियों ने भगवान से प्रार्थना करते हुए स्टेशन पर उतर गईं और भागते हुए रिजर्वेशन चार्ट तक पहुंची. चार्ट देख दोनों परेशान और भयभीत हो गईं क्योंकि ट्रेन में उनकी सीट कन्फर्म नहीं हुई थीं.

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पीएम मोदी को देखकर घबरा गई थी युवतियां
''मायूसी लिए उन्होंने न चाहते हुए भी नजदीक खड़े TC से गाड़ी में जगह देने के लिए विनती की. TC ने भी गाड़ी आने पर कोशिश करने का आश्वासन दिया. एक-दूसरे को भरोसा देते हुए दोनों गाड़ी का इंतजार करने लगीं. कुछ देर के इंतजार के बाद गाड़ी आ गई और दोनों जैसे-तैसे गाड़ी में एक जगह बैठ गईं. लेकिन जैसे ही उन्होंने अपने सामने वाली सीट पर देखा, वे घबरा गईं. उन्होंने देखा कि सामने वाली सीट पर दो पुरुष बैठे थे. पिछले सफर में हुई बदसलूकी का याद करते हुए दोनों युवतियां सिहर गईं. लेकिन अब वहां बैठने के अलावा उनके पास कोई चारा भी नहीं था, क्योंकि उस डिब्बे में कोई और जगह खाली भी नहीं थी। ट्रेन चल चुकी थी और दोनों की निगाहें, किसी दूसरी सीट के लिए TC को ढूंढ रही थीं. कुछ समय बाद TC वहां पहुंच गया और कहा कि उन्हें कहीं और सीट नहीं मिल पाएगी और इस सीट का भी रिजर्वेशन है.''

युवतियों के लिए अपनी सीट छोड़ फर्श पर सोए थे पीएम मोदी
''TC ने युवतियों से कहा कि वे अगला स्टेशन आने से पहले दूसरी जगह देख लें. यह सुनते ही दोनों के पैरों तले जैसे जमीन ही खिसक गई क्योंकि रात का सफर था. युवतियों की परेशानी से बेखबर ट्रेन अपनी तेजी से आगे बढ़ रही थी. जैसे-जैसे अगला स्टेशन पास आने लगा, दोनों परेशान होने लगीं लेकिन सामने बैठे पुरुष उनके परेशानी के साथ भय की अवस्था को बड़ी ही बारीकी से देख रहे थे. लेकिन जैसे ही अगला स्टेशन आया, युवतियों के सामने बैठे दोनों पुरुष अपनी सीट से उठ खड़े हो गए और चल दिए. अब दोनों लड़कियों ने उनकी जगह पकड़ ली और गाड़ी निकल पड़ी. कुछ देर बाद वो नौजवान वापस आए और फिर युवतियों से कुछ कहे बिना ही ट्रेन के फर्श पर सो गए. ये सब देखकर दोनों सहेलियां हैरान रह गईं. हालांकि, वे पिछली यात्रा में हुई बदसलूकी की वजह से अभी भी सहमी हुई थीं. इसी डर के साथ दोनों की आंखें लग गईं.''

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भविष्य में भी मदद करने का दिया था भरोसा
''सुबह चाय वाले की आवाज सुन नींद खुली तो दोनों ने उन पुरुषों को धन्यवाद कहा. उनमें से एक पुरुष ने युवतियों से कहा, "बहन जी, गुजरात में कोई मदद चाहिए हो तो जरुर बताना". अब दोनों सहेलियों का उनके बारे में मत बदल चुका था. एक युवती ने अब अपने बैग से बुक निकाली और उनसे अपना नाम और संपर्क लिखने को कहा...दोनों ने अपना नाम और पता बुक में लिख दिया. इतनें में ही उन पुरुषों का स्टेशन आ गया और वे "हमारा स्टेशन आ गया है" कहकर उतर गए और गर्दी में कही गुम हो गए. दोनों सहेलियों ने उस बुक में लिखे नाम पढ़े.. उनमें एक नाम नरेंद्र मोदी का था और दूसरा नाम शंकर सिंह वाघेला का था. तो क्या आप अब भी यही सोचते हैं कि हमने गलत प्रधानमंत्री चुना है?''

The Hindu में छपी थी लीना के साथ हुई घटना
वायरल पोस्ट के मुताबिक अपनी बुक में दोनों पुरुषों का नाम लिखने वाली महिला Leena Sarma अभी भारतीय रेलवे में कार्यरत हैं. लीना भारतीय रेल में General Manager of the centre for railway information system के पद पर काम करती हैं. लीना की ये आपबीती 1 जून, 2014 को प्रकाशित हुए अंग्रेजी अखबार 'The Hindu' में भी छापी गई थी. 'The Hindu' ने लीना की इस पूरी घटना को 'A train journey and two names to remember' टाइटल के साथ छापा था.