Viral Video : मेंटेनेंस के 6 लाख रुपये की मांग पर भड़की जज, कोर्ट रूम के बीच लगा दी जमकर क्लास, देखें वीडियो

एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है जिसमें सुनवाई के दौरान एक महिला जज काफी डांटती हैं. महिला जज का कहना है कि ये बिल्कुल भी उचित मांग नहीं है.

एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है जिसमें सुनवाई के दौरान एक महिला जज काफी डांटती हैं. महिला जज का कहना है कि ये बिल्कुल भी उचित मांग नहीं है.

author-image
Ravi Prashant
New Update
viral Court video

वायरल कोर्ट रुम वीडियो (X)

एक अदालत में एक मामले के सुनवाई के दौरान पत्नी द्वारा अपने पति से मासिक भरण-पोषण के रूप में 6,16,300 रुपये की मांग की गई. माननीय न्यायाधीश ने इस मांग को "शोषण" और "सहनशीलता की सीमाओं से परे" करार दिया. ये घटना समाज में विवाह और पारिवारिक संबंधों की जटिलता और उन पर आधारित कानूनी विवादों की गंभीरता को उजागर करती है. इस घटना से संबंधित वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें महिला जज वकिल से कहती हैं कि आप अपने क्लाइंट को जरा समझाइए कि वो उचित मांग रख सकें.

Advertisment

पत्नी ने दिया होगा कई तर्क

पत्नी ने अपने पति से यह मासिक भरण-पोषण अपने और बच्चों के खर्चों के लिए मांगा था. उसका दावा था कि उनके पति की आय इतनी अधिक है कि यह राशि उनके लिए उचित और आवश्यक है. उन्होंने अपने पक्ष में कई तर्क प्रस्तुत किए, जिसमें उनके बच्चों की शिक्षा, चिकित्सा और जीवन स्तर के खर्च शामिल थे.

अदालत ने इस मांग को सुनते हुए दोनों पक्षों के तर्कों को ध्यानपूर्वक सुना. माननीय न्यायाधीश ने कहा कि भरण-पोषण की मांग करना एक पत्नी का अधिकार है, लेकिन इसे शोषण का माध्यम नहीं बनाया जा सकता. न्यायाधीश ने इस बात पर जोर दिया कि भरण-पोषण की राशि का निर्धारण न्यायोचित और उचित होना चाहिए, जो पति की आय और जीवन स्तर के आधार पर हो, लेकिन यह इतना भी अधिक नहीं होना चाहिए कि इसे शोषण के रूप में देखा जाए.

न्यायाधीन ने किया अस्वीकार

न्यायाधीश ने अपने निर्णय में कहा कि इस तरह की अत्यधिक मांगें सहनशीलता की सीमाओं को पार कर जाती हैं और यह केवल पति के आर्थिक शोषण का प्रयास हो सकता है. उन्होंने इस बात को स्पष्ट किया कि भरण-पोषण का उद्देश्य जीवन यापन के लिए आवश्यक साधनों को उपलब्ध कराना है, न कि किसी को आर्थिक रूप से कमजोर करना या दंडित करना. न्यायालय ने इस मांग को अस्वीकार करते हुए एक उचित और न्यायसंगत भरण-पोषण की राशि निर्धारित की, जो पति की आर्थिक स्थिति और पत्नी के जीवन स्तर को ध्यान में रखते हुए दी गई.

ये भी पढ़ें- सोशल मीडिया की आड़ में 21 साल के लड़के ने किया रेप...13 साल की बच्ची को बनाया अपना शिकार

भरण-पोषण का उद्देश्य सिर्फ...?

बता दें कि ये मामला अदालतों के समक्ष आने वाले उन मामलों का उदाहरण है, जहां विवाहिक संबंधों के टूटने के बाद आर्थिक भरण-पोषण की मांग की जाती है. न्यायालय का निर्णय यह स्पष्ट करता है कि भरण-पोषण का उद्देश्य केवल जीवन यापन के लिए आवश्यक सहायता प्रदान करना है, न कि आर्थिक शोषण. इस निर्णय ने समाज में एक संदेश दिया है कि न्यायालय केवल न्याय की रक्षा के लिए ही नहीं, बल्कि समाज के मूल्यों और सहनशीलता की सीमाओं की भी रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं.

Viral News viral video today Viral Video Social media viral video today Court
      
Advertisment