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हाफिज सईद Photograph: (X)
ब्रिटेन स्थित थिंक टैंक Islamic Theology of Counter Terrorism (ITCT) के संस्थापक और कार्यकारी निदेशक नूर डहरी ने लश्कर-ए-तैयबा (LeT) में अपने भर्ती होने से लेकर संगठन की असलियत उजागर होने तक के सफर को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर शेयर किया है. इस खुलासे ने आतंकी संगठनों की सच्चाई पर एक बार फिर से सवाल खड़े कर दिए हैं.
हाफिज सईद की बातों में आकर छोड़ दी पढ़ाई
नूर डहरी ने बताया कि उनकी मां चाहती थीं कि वह डॉक्टर बनें, लेकिन हाफिज सईद के प्रभाव में आकर उन्होंने यूनिवर्सिटी की पढ़ाई छोड़ दी और LeT का हिस्सा बन गए. उन्होंने बताया कि हाफिज सईद के भाषण इतने भावनात्मक और उकसाने वाले होते थे कि सैकड़ों युवक उनके बहकावे में आ जाते.
हाफिज सईद की सुरक्षा में तैनात थे डहरी
डहरी ने बताया कि उन्हें LeT में शामिल होने के बाद हाफिज सईद की सुरक्षा का काम सौंपा गया था. मुरिदके में स्थित उसके स्थायी निवास और संगठन के मुख्यालय पर वह पहरा देते थे. हाफिज की सवारी एक विशेष रूप से तैयार की गई नीली Toyota Vigo Datsun थी, जिसके पीछे सोने के लिए अलग स्थान बना हुआ था.
हर हफ्ते 500 युवक भेजे जाते थे अफगानिस्तान
डहरी के अनुसार, LeT हर गुरुवार को पाकिस्तान के विभिन्न हिस्सों से करीब 500 युवकों को अफगानिस्तान के कुनार प्रांत में स्थित एक प्रशिक्षण शिविर मास्कर तैयबा भेजता था. डेहरी ने लिखा कि “इनमें से अधिकांश कभी वापस नहीं लौटे.”
असली चेहरा देखकर संगठन छोड़ने का फैसला किया
डहरी ने बताया कि जब मैंने अफगानिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर में लश्कर की असली गतिविधियां देखीं तो उन्हें समझ आया कि यह जिहाद नहीं, बल्कि एक राजनीतिक खेल है. जब उन्होंने संगठन छोड़ने की बात कही, तो उन्हें ‘कायर’ कहा गया और डराने-धमकाने की कोशिश की गई.
10 लाख आतंकियों की दी ट्रेनिंग
डहरी ने एक गंभीर दावा करते हुए कहा कि लश्कर-ए-तैयबा के पास इस समय लगभग 10 लाख प्रशिक्षित आतंकी मौजूद हैं. डहरी ने हाफिज सईद पर आरोप लगाया कि उसने इन युवाओं को राख की जंग में झोंक कर हजारों पाकिस्तानियों की जान ले ली.
हाफिज सईद का शर्मनाक अंत देखना चाहता हूं
डहरी ने लिखा, “मैं चाहता हूं कि हाफिज सईद का अंत दुनिया देखे, और मैं खुद उसका शर्मनाक अंत अपनी आंखों से देख सकूं, इंशा अल्लाह.”
I aspired to become a doctor in accordance with my late mother's wish, but I was unable to fulfil this ambition. Rather than pursuing a university education, I chose to join LeT, influenced by a man (Hafiz Saeed) who adversely impacted my promising future.
— Noor Dahri - نور ڈاہری 🇬🇧 (@dahrinoor2) May 9, 2025
I recall being… pic.twitter.com/pkE2bcN0bN