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Chardham Yatra: भारत के चार धामों में से एक केदारनाथ धाम न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि लाखों श्रद्धालुओं की आस्था और आंतरिक विश्वास का प्रतीक भी है। हर साल हजारों भक्त यहां भगवान शिव के दर्शन के लिए उत्तराखंड की कठिन पर्वतीय यात्रा तय करते हैं। लेकिन हाल के वर्षों में इस पवित्र धाम से कुछ ऐसे वीडियो सामने आए हैं, जो समाज की गिरती मानसिकता और नैतिक मूल्यों पर गंभीर सवाल खड़े कर रहे हैं।
ताजा मामला केदारनाथ धाम से जुड़ा हुआ है, जहां एक कपल का अश्लील वीडियो तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इस वीडियो में कपल को केदारनाथ धाम के रास्ते में अशोभनीय हरकतें करते हुए देखा गया। इस वीडियो के सामने आते ही सोशल मीडिया पर लोगों की नाराजगी और गुस्सा साफ तौर पर झलकने लगा। यूजर्स ने इसे सीधे तौर पर धार्मिक भावनाओं का अपमान बताया है।
यह पहली बार नहीं है जब केदारनाथ जैसे धार्मिक स्थल से अशोभनीय या अनैतिक वीडियो वायरल हुआ हो। इससे पहले भी एक पंजाबी गाने पर डांस करते श्रद्धालु का वीडियो वायरल हुआ था, जिस पर भी लोगों ने तीखी प्रतिक्रिया दी थी। इन घटनाओं ने एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या आस्था के स्थलों पर अनुशासन और मर्यादा का पालन अब सिर्फ औपचारिकता बनकर रह गया है?
स्थानीय लोगों और श्रद्धालुओं ने इस वायरल वीडियो को लेकर प्रशासन से कड़ी कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि यह सिर्फ एक वीडियो नहीं है, बल्कि यह हिंदू धर्म और संस्कृति पर आघात है। आस्था के स्थल पर इस तरह की गतिविधियां न केवल अनैतिक हैं, बल्कि पूरे समाज के लिए शर्मनाक उदाहरण प्रस्तुत करती हैं।
इस मामले में पुलिस और प्रशासन ने तुरंत संज्ञान लेते हुए वीडियो की जांच शुरू कर दी है। बताया जा रहा है कि वीडियो बनाने वालों की पहचान की जा रही है और जल्द ही उनके खिलाफ आईटी एक्ट और धार्मिक स्थल की मर्यादा भंग करने के तहत कानूनी कार्रवाई की जाएगी। उत्तराखंड पुलिस ने यह भी संकेत दिया है कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए धाम क्षेत्र में निगरानी और सुरक्षा उपायों को और कड़ा किया जाएगा।
केदारनाथ जैसे पवित्र स्थल पर इस तरह की घटनाएं केवल धार्मिक भावनाओं को ही नहीं ठेस पहुंचातीं, बल्कि समाज में नैतिकता और संवेदनशीलता के पतन को भी उजागर करती हैं। हर श्रद्धालु और पर्यटक की यह नैतिक जिम्मेदारी है कि वह ऐसे स्थलों की मर्यादा और गरिमा बनाए रखे। सोशल मीडिया पर लोकप्रियता के लिए धार्मिक स्थलों का उपयोग करना एक घृणित प्रवृत्ति है, जिस पर कानून के साथ-साथ सामाजिक चेतना से भी अंकुश लगाना आवश्यक है।