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सांप का नाम सुनते ही कई लोगों को पसीना आने लग जाता है. क्योंकि ये दुनिया सबसे जहरीले जीवों में जो गिना जाता है. लेकिन सांप डंसने के अलावा अपनी पूंछ से भी आपको शिकार बना सकता है.
भारत में सांपों को लेकर गहरी भ्रांतियां और डर की भावना है. अधिकतर लोग सांप का नाम सुनते ही घबरा जाते हैं, क्योंकि उन्हें यह जहरीला और खतरनाक जीव माना जाता है. भारत में हर साल लगभग 2.5 लाख लोग सांपों के काटने का शिकार होते हैं, जिनमें से करीब 50,000 की मौत हो जाती है. यह एक गंभीर समस्या है, लेकिन जरूरी नहीं कि हर सांप जहरीला हो. कई बार सांप आपको अपनी पूछ से भी शिकार बना सकता है. लेकिन क्या सांप की पूंछ से भी कोई मर सकता है आइए जानते हैं क्या है इस भ्रांति का सच.
यह जानना दिलचस्प है कि जैसे इंसान सांप से डरते हैं, वैसे ही सांप भी इंसानों से डरते हैं. सांपों की अधिकांश प्रजातियां इंसानों को खतरे के रूप में देखती हैं. तेज आवाज या शोर होने पर वे भागने की कोशिश करते हैं. यह उनका स्वाभाविक रक्षक व्यवहार है. इंसान का आना, चलना, बोलना – ये सब सांप को खतरे का संकेत देते हैं.
भारत के प्रसिद्ध स्नेक कैचर महादेव पटेल के अनुसार, सांप की पूंछ में कोई विष नहीं होता. सांप अपनी पूंछ का इस्तेमाल केवल रक्षा के लिए करता है, जिससे वह अपने शत्रु को डराने या दूर भगाने की कोशिश करता है. फिर भी, जब सांप पूंछ मारता है, तो कुछ लोग सिरदर्द, बुखार या कमजोरी महसूस करते हैं. इसके पीछे कई संभावित कारण हो सकते हैं. लेकिन इतना तो साफ है कि सांप अपने पूंछ से किसी को मार नहीं सकता है बल्कि इंसान अपने डर से मर सकता है.
जब कोई व्यक्ति सांप की पूंछ से छू जाता है, तो उसका मस्तिष्क तनाव में आ जाता है. डर के कारण शरीर में एड्रेनालिन हार्मोन की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे सिरदर्द, बुखार या थकान जैसी स्थिति पैदा हो सकती है.
यदि पूंछ मारने से त्वचा पर खरोंच या चोट लगती है, और वहां संक्रमण हो जाता है, तो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली सक्रिय होकर बुखार उत्पन्न कर सकती है.
कुछ लोग अत्यधिक संवेदनशील होते हैं. वे हर घटना को गंभीरता से लेते हैं और कभी-कभी अपने डर को बीमारी में बदल लेते हैं. ऐसे में सांप की पूंछ मारना उनके लिए एक मनोवैज्ञानिक सदमा बन जाता है.
सांप एक प्राचीन और रहस्यमयी जीव है जो डायनासोर के युग से अस्तित्व में है. हालांकि इससे सतर्क रहना जरूरी है, लेकिन अंधविश्वास और मिथकों से ऊपर उठकर हमें वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए.
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