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Ahmedabad Plane Crash: गुजरात के अहमदाबाद से लंदन जा रहे एयर इंडिया के विमान के भीषण हादसे में जहां 242 यात्रियों में से 241 की जान चली गई, वहीं एकमात्र बचे यात्री रमेश विश्वास कुमार की जिंदगी एक चमत्कार की तरह सामने आई है। अब इस दुर्घटना के बाद का एक और नया वीडियो सामने आया है, जिसमें रमेश मोबाइल फोन हाथ में लिए दुर्घटनास्थल से बाहर निकलते नजर आ रहे हैं। 17 सेकेंड का यह वीडियो उस भयावह दृश्य की गवाही देता है, जिससे रमेश जीवित बाहर निकलने में सफल रहे।
सीट 11A और जीवन का दूसरा मौका
रमेश विश्वास कुमार ब्रिटिश नागरिक हैं, जिनकी सीट संख्या 11A थी। यह सीट विमान के उस हिस्से में थी जो इमारत के भूतल से टकरा गया था। हादसे के बाद रमेश ने अपनी सीट बेल्ट खोली, खुद को संभाला और किसी तरह धुएं और आग से घिरे माहौल में बाहर निकलने में सफल रहे। उन्होंने बताया कि जैसे ही होश आया, उन्होंने तुरंत देखा कि वह जीवित हैं। फिर तुरंत बाहर निकलने का प्रयास किया।
जल गया बायां हाथ, आंखों के सामने गया सबकुछ
रमेश ने एक इंटरव्यू में बताया कि विमान में आग लगने से उनका बायां हाथ जल गया है। उन्होंने कहा, “सब कुछ मेरी आंखों के सामने हुआ। मुझे यकीन नहीं हो रहा कि मैं कैसे बच गया। कुछ सेकंड के लिए लगा कि अब मैं भी मर जाऊंगा।” विमान में मौजूद एयर होस्टेस, अंकल-आंटी, बच्चे – सब जलते हुए उन्होंने अपनी आंखों से देखे, लेकिन खुद बाहर निकलने में सफल रहे।
This video is said to be the first to capture the lone survivor Ramesh Vishwas Kumar , who miraculously survived the #AhmedabadPlaneCrash.
— Kumar Manish (@kumarmanish9) June 16, 2025
He was on seat 11A
Ramesh in white T-shirt looking disoriented and walks out with his phone in his hand.pic.twitter.com/FRibyLwJNv
पीएम मोदी से मुलाकात
हादसे के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अस्पताल जाकर रमेश से मुलाकात की। उन्होंने रमेश से हादसे के बारे में विस्तार से पूछा। रमेश ने बताया, “पीएम मोदी ने मुझसे पूछा कि ये सब कैसे हुआ। मैंने कहा, सर सब मेरी आंखों के सामने हुआ। मैं तो खुद भी मरने वाला था। पर ईश्वर ने बचा लिया।”
जीवन की कीमत समझ आई
रमेश विश्वास कुमार की कहानी आज देशभर में चर्चा का विषय बन गई है। इस हादसे में उनका बचना एक अद्भुत संयोग और प्रेरणा का प्रतीक है। रमेश कहते हैं, “अब मुझे जिंदगी की असली कीमत समझ में आई है। हर सांस एक तोहफा है।”