भारत-रूस की ऐतिहासिक दोस्ती पर अमेरिका की नाराजगी, ‘टैरिफ बम’ भी नहीं ला पाईं दरार

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 50% टैरिफ और रूस से तेल खरीद पर पेनल्टी की बात कही, लेकिन भारत ने साफ कर दिया कि वह रूस से तेल और हथियारों की खरीद जारी रखेगा. सोवियत दौर से चली आ रही भारत-रूस की दोस्ती रक्षा, ऊर्जा और अंतरिक्ष तक फैली है.

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Deepak Kumar
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 50% टैरिफ और रूस से तेल खरीद पर पेनल्टी की बात कही, लेकिन भारत ने साफ कर दिया कि वह रूस से तेल और हथियारों की खरीद जारी रखेगा. सोवियत दौर से चली आ रही भारत-रूस की दोस्ती रक्षा, ऊर्जा और अंतरिक्ष तक फैली है.

अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने हाल ही में भारत पर 50% टैरिफ लगाया और रूस से भारत के तेल व्यापार पर नाराजगी जताई. उन्होंने पेनल्टी लगाने की भी बात कही, लेकिन भारत ने साफ कर दिया कि वह रूस से तेल खरीदना जारी रखेगा. भारत-रूस की दोस्ती इतनी पुरानी और मजबूत है कि अमेरिका की लाख कोशिशों के बावजूद इसमें कोई दरार नहीं आई.

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ऐतिहासिक है भारत-रूस की दोस्ती

भारत और रूस के संबंध सोवियत संघ के समय से चले आ रहे हैं. आजादी के बाद 1950-60 के दशक में दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग की शुरुआत हुई. 1962-63 में भारत ने मिग-21 फाइटर जेट का सौदा किया, जिसने 1965 और 1971 की लड़ाई में अहम भूमिका निभाई. इसके बाद मिग-23, मिग-27, मिग-29 और 1996 में सुखोई-30 एमकेआई का सौदा हुआ. सुखोई जेट भारत के लिए खासतौर पर रूस ने तैयार किया और अब इसका निर्माण भारत में ही होता है.

2001 में ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल का निर्माण भारत-रूस ने मिलकर शुरू किया. 2004 में आईएनएस विक्रमादित्य को भारतीय नौसेना में शामिल किया गया. अमेरिका की नाराजगी के बावजूद 2018 में भारत ने रूस से 5.43 बिलियन डॉलर में एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम खरीदा, जो 400 किमी दूर से दुश्मन के खतरे को नष्ट कर सकता है.

जमीन पर भी रूस ने भारत की ताकत बढ़ाई. 1979 में टी-72 टैंक और 2001 में टी-90 टैंक भारत को मिले. 2019 में अमेठी में रूस की मदद से एके-203 असॉल्ट राइफल का निर्माण शुरू हुआ.

ऊर्जा के क्षेत्र में भी रूस भारत का अहम साझेदार है. कुडनकुलम परमाणु संयंत्र से लेकर तेल और गैस के आयात तक, रूस ने भारत की ऊर्जा सुरक्षा में योगदान दिया है. अंतरिक्ष मिशनों में भी रूस ने भारत का साथ दिया. सांस्कृतिक रिश्ते भी गहरे हैं- राज कपूर की फिल्में रूस में मशहूर हैं, भारतीय छात्र वहां पढ़ाई करते हैं और योग, आयुर्वेद व साहित्य दोनों देशों के दिलों को जोड़ते हैं.

अमेरिका को नहीं पसंद भारत-रूस की दोस्ती

अमेरिका को यह दोस्ती इसलिए खटकती है क्योंकि वह एकध्रुवीय दुनिया बनाए रखना चाहता है, जबकि भारत और रूस ब्रिक्स व एससीओ जैसे मंचों पर बहुध्रुवीय और संतुलित विश्व व्यवस्था के पक्षधर हैं. अमेरिका को डर है कि अगर भारत-रूस के रिश्ते ऐसे ही बने रहे तो हथियार और ऊर्जा के बड़े सौदे उसके हाथ से निकल जाएंगे.

ट्रंप की टैरिफ और पेनल्टी की धमकियों के बावजूद भारत ने साफ कर दिया है कि वह अपने रणनीतिक हितों और पुराने भरोसेमंद दोस्त रूस के साथ किसी भी हाल में समझौता नहीं करेगा.

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