Lakh Take Ki Baat: दिल्ली के 59 में से 22 इलाकों में कार्बन मोनोऑक्साइड का स्तर 30 दिनों से अधिक समय तक मानक से ऊपर रहा. द्वारका सेक्टर-8 का स्तर सबसे खराब पाया गया.
Lakh Take Ki Baat: दिल्ली और एनसीआर में प्रदूषण का स्तर लगातार खतरनाक होता जा रहा है. शहर की हवा इतनी जहरीली बन चुकी है कि खुले में सांस लेना मुश्किल हो गया है. लंबे समय तक माना जाता रहा कि पराली इसका सबसे बड़ा कारण है, लेकिन सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (CSE) की नई रिपोर्ट ने दिल्ली के अपने ही सिस्टम को जिम्मेदार ठहरा दिया है.
इस साल पराली जलाने के मामलों में गिरावट
रिपोर्ट के मुताबिक इस साल पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने के मामले कम हुए हैं. केवल 12 और 13 नवंबर को दिल्ली के प्रदूषण में पराली का योगदान 22% दर्ज किया गया, जबकि बाकी दिनों में यह हिस्सा 5% से भी कम रहा. इसके बावजूद हवा जहरीली क्यों हो गई? रिपोर्ट बताती है कि पीएम 2.5, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड एक साथ बढ़ रहे हैं.
बता दें कि सुबह 7 से 10 बजे और शाम 6 से 9 बजे के बीच ये प्रदूषक तेजी से बढ़ते हैं, क्योंकि वाहनों से निकलने वाला धुआं सर्दियों में नीची वायुमंडलीय परतों में फंस जाता है. दिल्ली के 59 में से 22 इलाकों में कार्बन मोनोऑक्साइड का स्तर 30 दिनों से अधिक समय तक मानक से ऊपर रहा. द्वारका सेक्टर-8 का स्तर सबसे खराब पाया गया.
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