Uttarkashi Cloudburst: बादल फटा या ग्लेशियर टूटा? जानिए उत्तरकाशी के धराली से जुड़े लेटेस्ट अपडेट

उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली गांव में 5 अगस्त 2025 को महज 34 सेकेंड में तबाही मच गई. इस कुदरती आपदा में कई लोगों की जान चली गई, जबकि 50 से ज्यादा लोग लापता हैं.

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Dheeraj Sharma
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उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली गांव में 5 अगस्त 2025 को महज 34 सेकेंड में तबाही मच गई. इस कुदरती आपदा में कई लोगों की जान चली गई, जबकि 50 से ज्यादा लोग लापता हैं.

उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले का धराली गांव 5 अगस्त 2025 को भीषण आपदा का शिकार हुआ. दोपहर करीब 1:30 बजे खीर गंगा नाले में अचानक आई विनाशकारी बाढ़ ने महज 34 सेकेंड में पूरे गांव को मलबे में बदल दिया. आपको बता दें कि इस घटना में अब तक 10 लोगों की मौत की खबर है, हालांकि आधिकारिक आंकड़ा 4 मौतों का है. वहीं, 50 से अधिक लोग लापता हैं, जिनमें सेना के जवान भी शामिल हैं. अभी तक साफ नहीं है कि ये आपदा बादल फटने से हुई या ग्लेशियर टूटने से. फिलहाल जांच और बचाव अभियान जारी है.

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कहां और कैसे आई तबाही?

धराली गांव गंगोत्री धाम का प्रमुख पड़ाव है, जहां करीब 500 लोग रहते हैं. यहां कई होम स्टे और होटल भी हैं, जहां पर्यटक ठहरते हैं. मंगलवार को मौसम सामान्य था और मौसम विभाग ने किसी तरह की चेतावनी नहीं दी थी. अचानक दोपहर में 1230 फीट की ऊंचाई से और करीब 43 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से आए पानी और मलबे ने गांव को तबाह कर दिया.

वीडियो में दिखा तबाही का मंजर

सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में साफ दिखा कि कैसे 20-34 सेकेंड में घर, होटल और दुकानें बाढ़ में बह गए. लोगों के सामने उनका सब कुछ उजड़ गया. चीख-पुकार के बीच कोई बचाने वाला नहीं था. खूबसूरत वादियों के बीच बसा यह गांव मलबे का ढेर बन गया.

मौतें और लापता लोग

इस आपदा में 10 लोगों की मौत की खबर है, हालांकि आधिकारिक पुष्टि सिर्फ 4 की हुई है. 50 से अधिक लोग अब भी लापता हैं, जिनमें सेना के हर्षिल कैंप के 20 से ज्यादा जवान भी शामिल हैं. अब तक 20 लोगों को सुरक्षित निकाला गया है.

बचाव अभियान जारी

धराली में राहत और बचाव कार्य तेज गति से चल रहा है. सेना, आईटीबीपी, पुलिस, राजस्व विभाग, बीआरओ और एम्बुलेंस सेवाओं के 201 जवान मौके पर काम कर रहे हैं. इसके अलावा, एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, अग्निशमन सेवा और लोक निर्माण विभाग के 211 कर्मियों की दूसरी टीम भी तैनात है. मलबे में दबे लोगों की तलाश और घायलों को सुरक्षित निकालने का काम लगातार जारी है.

यह हादसा उत्तराखंड में मानसून के दौरान आने वाली प्राकृतिक आपदाओं की भयावह तस्वीर पेश करता है और यह सवाल खड़ा करता है कि पहाड़ी इलाकों में समय रहते चेतावनी और सुरक्षा के बेहतर इंतजाम कब होंगे?

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