Raksha Bandhan 2025: 40 साल बाद बना ये खास संयोग, जानिए राखी बांधने का शुभ मुहूर्त और इसकी परंपरा

रक्षाबंधन भाई-बहन के प्यार और सम्मान का त्यौहार है. इस साल यह 9 अगस्त को पूरे देश में मनाया जाएगा. खास बात यह है कि 40 साल बाद ऐसा संयोग बन रहा है जब न भद्रा होगी और न ही राहु काल का असर. मतलब बहनें पूरे दिन अपने भाई की कलाई पर राखी बांध सकती हैं.

रक्षाबंधन भाई-बहन के प्यार और सम्मान का त्यौहार है. इस साल यह 9 अगस्त को पूरे देश में मनाया जाएगा. खास बात यह है कि 40 साल बाद ऐसा संयोग बन रहा है जब न भद्रा होगी और न ही राहु काल का असर. मतलब बहनें पूरे दिन अपने भाई की कलाई पर राखी बांध सकती हैं.

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Deepak Kumar Singh
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रक्षाबंधन भाई और बहन के प्रेम व सम्मान का प्रतीक है. इस साल यह पर्व 9 अगस्त को पूरे देश में मनाया जाएगा. खास बात यह है कि 40 साल बाद ऐसा संयोग बन रहा है जब न तो भद्रा का प्रभाव होगा और न ही राहु काल का कोई असर. इसका मतलब है कि बहनें सुबह से रात तक किसी भी समय राखी बांध सकती हैं. फिर भी, शुभ मुहूर्त में राखी बांधने का महत्व सबसे ज्यादा होता है.

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रक्षाबंधन की परंपरा

पुराणों में रक्षाबंधन से जुड़ी कई कथाएं हैं. त्रेता युग में, जब देवराज इंद्र असुरों से युद्ध के लिए जा रहे थे, उनकी पत्नी इंद्राणी ने उनके हाथ में मंत्रों से अभिमंत्रित रक्षासूत्र बांधा. इसके प्रभाव से इंद्र ने विजय प्राप्त की.

एक अन्य कथा में, शकुंतला ने अपने पुत्र भरत को जंगल के जानवरों से रक्षा के लिए रक्षासूत्र बांधा. इसके बाद भरत शेर और अन्य हिंसक जानवरों के साथ भी सुरक्षित खेलते रहे. इसी तरह, माता अपने बच्चों को, और बहनें अपने भाइयों को रक्षा सूत्र बांधती हैं. राजस्थान में बहनें भाई के साथ भाभी को भी राखी बांधती हैं. यहां तक कि पेड़ों और भगवान को भी राखी बांधने की परंपरा है, क्योंकि वे भी हमारी रक्षा करते हैं.

इस साल का शुभ संयोग

इस बार 95 साल बाद सर्वार्थ सिद्धि योग और शोभन योग का मेल बन रहा है. भद्रा सूर्योदय से पहले ही खत्म हो जाएगी, इसलिए सुबह से दोपहर 1:24 बजे तक विशेष शुभ समय रहेगा. हालांकि राहु काल में राखी नहीं बांधनी चाहिए.

राशि अनुसार राखी के रंग

वास्तु और ज्योतिष के अनुसार हर राशि के लिए खास रंग की राखी शुभ मानी जाती है-

मेष: लाल, हनुमान जी की तस्वीर वाली

वृष: सफेद, नंदी जी के चित्र वाली

मिथुन: हरा, गणपति या स्वस्तिक वाली

कर्क: सफेद, गौ माता के चित्र वाली

सिंह: सुनहरी, श्री हरि नारायण या कृष्ण जी की तस्वीर वाली

कन्या: हरी या दूर्वा की रक्षा, गणपति के चित्र वाली

तुला: सुनहरी, देवी दुर्गा की तस्वीर वाली

वृश्चिक: लाल या सिंदूरी, हनुमान जी की तस्वीर वाली

धनु: पीला, ऋषि-मुनियों के चित्र वाली

मकर: नीला

कुंभ: नीला, हनुमान जी या गौरी-शंकर के चित्र वाली

मीन: पीला, श्री हरि नारायण या सत्यनारायण की तस्वीर वाली

राखी बांधते समय दिशा का महत्व

आपको बता दें कि शुभ कार्यों के लिए पूर्व दिशा को सर्वोत्तम माना जाता है. भाई का मुख पूर्व दिशा में होना चाहिए. जबकि बहन का मुख उत्तर दिशा में होना चाहिए.

भगवान को राखी बांधना

राखी बांधने की शुरुआत भगवान से करना शुभ माना जाता है. पूजा में गणपति की स्थापना करें, स्वस्तिक बनाएं, अक्षत, फूल, फल और पंचामृत चढ़ाएं. रक्षा सूत्र भाई के दाहिने हाथ में बांधें, अंगूठे से तिलक करें, अक्षत लगाएं और आरती उतारें.

राखी केवल भाई को ही नहीं, बल्कि पिता, पति, गुरु या किसी भी प्रियजन को बांधी जा सकती है. इसका मूल भाव है- सुरक्षा और स्नेह का वचन.

इस तरह रक्षाबंधन केवल भाई-बहन का पर्व नहीं, बल्कि प्रेम, सम्मान और रक्षा का संकल्प है. इस साल का खास संयोग इस पर्व को और भी शुभ बना रहा है.

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