Raksha Bandhan 2025: हिंदू सनातन धर्म में रक्षाबंधन को बेहद ही अहम माना जाता है. यह त्योहार हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है. इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर रक्षासूत्र बांधती हैं. इसके साथ ही उनके सुख, समृद्धि और दीर्घायु की कामना करती है और भाई जीवन भर उनकी रक्षा का संकल्प लेते हैं. इस साल रक्षाबंधन का पर्व 9 अगस्त यानी शनिवार को मनाया जाएगा. हालांकि श्रावण पूर्णिमा की तिथि 8 अगस्त को दोपहर 2:12 से शुरू हो जाएगी और 9 अगस्त को दोपहर 1:21 तक रहेगी. वहीं इस बार रक्षाबंधन पर भद्रा का साया नहीं रहेगा. लेकिन ज्योतिषीय गणनाओं के मुताबिक अगस्त की दोपहर 2:12 बजे से लेकर 9 अगस्त की सुबह 1:52 बजे तक भद्रा का प्रभाव रहेगा.
297 बाद बना दुर्लभ योग
राखी बांधने के शुभ मुहूर्त की बात करें तो 9 अगस्त को सुबह 5:47 बजे से दोपहर 1:21 बजे तक रहेगा. यानी बहनें सुबह से लेकर दोपहर तक पूरे विधि और विधान के साथ श्रद्धा के साथ अपने भाइयों को राखी बांध सकेगी. इस बार का रक्षाबंधन पर्व 297 वर्ष बाद एक दुर्लभ ग्रह योग बना रहा है. ज्योतिषियों के अनुसार इस बार रक्षाबंधन के दिन चंद्रमा मकर राशि में रहेगा और श्रावण नक्षत्र में संचार करेगा. तो वहीं सूर्य कर्क राशि में स्थित रहेगा. मंगल, कन्या में, बुध, कर्क में, गुरु और शुक्र, मिथुन में, राहु, कुंभ और केतु, सिंह राशि में रहेगा. ग्रहों की यह अद्भुत तिथि ना केवल दिन को शुभ बनाती है बल्कि राखी के संकल्प को और शक्ति देती है. यही नहीं इस बार राखी पर दो अत्यंत शुभ योग भी बन रहे हैं.
दो दुर्लभ योग
पहला योग यह सर्वार्थ सिद्ध योग जो 9 अगस्त की सुबह 5:47 बजे से दोपहर 2:23 बजे तक रहेगा. हिंदू मान्यताओं में इस योग को सभी कार्यों की सफलता का द्वार माना जाता है. दूसरा विशेष योग है शुभ सौभाग्य योग जो 9 अगस्त की सुबह से आरंभ होकर 10 अगस्त की तड़के 2:15 बजे तक रहेगा और नाम के अनुसार यह योग भी अत्यंत ही शुभ और फलदायक माना गया है. कहते हैं कि इस योग में जो भी कार्य किया जाए उसमें भाग्य का पूरा साथ मिलता है और सौभाग्य स्थाई रूप से जीवन में प्रवेश करता है.
रक्षाबंधन की कहानी
रक्षाबंधन पर्व की जड़े इतिहास और पुराणों तक फैली हुई है. कभी रानी करणावती ने हुमायूं को राखी भेजकर मदद मांगी थी. कभी भगवान श्री कृष्ण ने द्रोपदी की लाज की रक्षा की थी. कभी यमराज ने यमुना जी से वचन लिया जो भाई अपनी बहन से प्रेम करता है और रक्षाबंधन का पर्व मनाता है उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं होता है. आज भी जब बहन भाई की कलाई पर राखी बांधती है तो वह केवल एक धागा नहीं होता. वो एक संकल्प होता है, एक भावना होती है और एक अदृश्य कवच भी होता है जो भाई को जीवन में सुरक्षा और सफलता की राह दिखाता है. जब राखी बांधी जाती है तो उसमें तीन गांठ लगाई जाती है. माना जाता है कि यह गांठे ब्रह्मा, विष्णु, महेश्वर की उपस्थिति का प्रतीक माना जाता है. यह गांठे भाई की दीर्घायु, उसकी रक्षा और समृद्धि की कामना का प्रतिनिधित्व भी करती है.
Religion की ऐसी और खबरें पढ़ने के लिए आप न्यूज़ नेशन के धर्म-कर्म सेक्शन के साथ ऐसे ही जुड़े रहिए.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)