अश्विन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहते हैं. इसे कोजागरी या कोजागर पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. इस रात को जागरण करने और चांद की रोशनी में खीर रखने का विशेष महत्व होता है.
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