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महाराष्ट्र की सियासी तस्वीर अब पूरी तरह साफ हो गई है. महाराष्ट्र की जनता को मिली-जुली विचारधारा वाली सरकार मिलने जा रही है, जहां एक तरफ हिंदुत्व का प्रतिनिधित्व करने वाली शिवसेना होगी, तो दूसरी तरफ एनसीपी और कांग्रेस जो धर्मनिरपेक्षता की बात करती है. सवाल यह है कि कांग्रेस और शिवसेना की राहें एक दिशा में कैसे बढ़ेगी जो हर कदम एक दूसरे की आलोचना करती आ रही है. एक वीर सावरकर का प्रशंसक है तो दूसरा विरोधी. उद्धव ठाकरे ने एक समारोह में कहा था कि अगर सावरकर इस देश के प्रधानमंत्री होते तो पाकिस्तान का जन्म नहीं हुआ होता. हमारी सरकार (बीजेपी-शिवसेना) हिन्दुत्व की है और हम उन्हें भारत रत्न देने की मांग करते हैं.'