शिव पुराण और भविष्य पुराण में सावन महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरियाली तीज कहा गया है। इस तीज व्रत के कुछ नियमों में सबसे बड़ा नियम है कि इसमें रेत से शिवलिंग बनाकर पूजा करनी चाहिए। ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि देवी पार्वती ने बालूका यानी रेत से शिवलिंग निर्मित करके शिव की तपस्या की थी। ऐसी मान्यता है कि जिन कन्याओं के विवाह में बाधाएं आ रही हैं वह भी इस दिन शिव-पार्वती की पूजा विवाह की इच्छ से करें तो उनकी भी कामना जल्दी पूरी होती है।
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