राजधानी में एक बार फिर एक इमारत गिरने से दो मासूम बच्चों को काल निगल गया। अब इन मासूम की मौत का जिम्मेदार कौन है यह तो न्यायालय तय करेगा, लेकिन हर साल होने वाली इन घटनाओं के बाद भी निगम से लेकर प्रशासनिक अधिकारी कोई सबक नहीं लेते हैं। हर बार बस ठोस कार्रवाई का आश्वासन मिलता है, लेकिन मामला ठंडा होने के बाद बात आई गई हो जाती है। यही वजह है कि हर साल मानसून के दौरान या उसके बाद इमारतें ढह जाती हैं। इससे जर्जर इमारतों की पहचान करने वाली व्यवस्था पर भी सवाल खड़े होते हैं।
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