Karwa Chauth 2025: पहली बार करवा चौथ व्रत रखने वाली महिलाओं के लिए 5 जरूरी बातें

करवा चौथ उत्तर और पश्चिम भारत में मनाया जाने वाला पवित्र पर्व है. इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए निर्जला व्रत रखती हैं. यह व्रत कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को आता है.

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Deepak Kumar
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करवा चौथ उत्तर और पश्चिम भारत में मनाया जाने वाला पवित्र पर्व है. इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए निर्जला व्रत रखती हैं. यह व्रत कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को आता है.

करवा चौथ भारत में विवाहित महिलाओं का सबसे खास और पवित्र त्योहार माना जाता है. यह पर्व पति की लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए रखा जाता है. करवा चौथ हर साल कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है, जो आमतौर पर अक्टूबर या नवंबर में आती है. इस दिन महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं और चांद देखकर ही व्रत खोलती हैं. करवा चौथ उत्तर और पश्चिम भारत में मनाया जाने वाला पवित्र पर्व है. ऐसे में जो महिलाएं पहली बार करवा चौथ का व्रत रखना चाहती हैं उन्हें इन 5 बातों का ध्यान जरूर रखना चाहिए. 

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करवा चौथ की तैयारी

आपको बता दें कि करवा चौथ से दो दिन पहले ही घरों में तैयारियां शुरू हो जाती हैं. महिलाएं नए कपड़े, गहने, श्रृंगार का सामान और मेहंदी खरीदती हैं. बाजार सज जाते हैं और हर तरफ खुशी का माहौल होता है. यह त्योहार न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है बल्कि पारिवारिक और सामाजिक जुड़ाव को भी मजबूत करता है.

सरगी का महत्व समझें

करवा चौथ व्रत की शुरुआत सरगी से होती है. यह सास द्वारा बहू को दी जाने वाली भेंट होती है, जिसमें फल, मिठाइयां, सूखे मेवे, कपड़े और श्रृंगार का सामान शामिल होता है. सरगी सूर्योदय से पहले खाई जाती है और इसे लिए बिना व्रत अधूरा माना जाता है. पहली बार व्रत रखने वाली महिलाएं अक्सर इसे भूल जाती हैं, लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए क्योंकि सरगी से ही व्रत की शुरुआत होती है. इसलिए इसे लेना और सही समय पर ग्रहण करना जरूरी है.

कपड़ों और रंगों का चयन

व्रत के दिन कपड़ों का चुनाव शुभ रंगों में करना चाहिए.  इस दिन महिलाएं पारंपरिक और चमकीले रंगों के कपड़े पहनती हैं. लाल, गुलाबी, पीला और मेहरून रंग शुभ माने जाते हैं. पूजा के समय काले या सफेद रंग के कपड़े नहीं पहनने चाहिए. चमकीले और खुशरंग कपड़े इस दिन सकारात्मक ऊर्जा लाते हैं.

व्रत के नियम और सावधानियां

करवा चौथ का व्रत पूरे दिन बिना पानी और भोजन के रखा जाता है. इसे निर्जला व्रत कहा जाता है. यदि गलती से पानी पी लिया जाए या कुछ खा लिया जाए तो व्रत अधूरा माना जाता है. इसलिए दिनभर धैर्य और अनुशासन बनाए रखना जरूरी है. बहस या गुस्सा करने से बचें ताकि पूजा का माहौल पवित्र बना रहे. व्रत के दौरान मन को शांत और सकारात्मक रखना चाहिए. घर का माहौल प्रसन्न और भक्तिमय होना चाहिए.

व्रत खोलने की सही विधि

व्रत तभी पूरा माना जाता है जब महिलाएं चांद को देखकर अर्घ्य दें और पति के हाथ से जल ग्रहण करें. कुछ महिलाएं समय देखकर व्रत खोल लेती हैं, लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए. चांद देखने के बाद ही व्रत खोलना सबसे शुभ माना गया है. इस तरह नियमों और परंपराओं का पालन करने से करवा चौथ का अनुभव मंगलमय और यादगार बनता है.

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