H-1B Visa: भारतीयों का अमेरिका में नौकरी करने का सपना शायद अब पूरा नहीं होगा. क्योंकि क्यों कि ट्रंप के एच-1बी वीजा की भारी भरकर फीस के चलते अब अमेरिक कंपनियां भारत का रुख कर रही हैं.
अमेरिका में ट्रंप सरकार की एच-वन बी वीजा पर नई सख्ती ने अब बड़ा असर डाला है. अब नई वीजा अर्जी पर एक लाख डॉलर का एक्स्ट्रा चार्ज लग रहा है. जिसमें ऊंचे वेतन वाले यानी ऊंची सैलरी वालों को प्रायोरिटी मिल रही है और जो भी आवेदन करने वाले हैं उनकी जांच में ज्यादा कड़ाई की गई है. इससे अमेरिका में विदेशी कर्मचारियों को रखना महंगा और मुश्किल हो रहा है. नतीजा यह हुआ है कि बड़ी अमेरिकन टेक कंपनियां अब अपना काम भारत की तरफ शिफ्ट कर रही हैं.
2025 में इन अमेरिकन कंपनियों ने किया भारत का रुख
साल 2025 में कई अमेरिक कंपनियों ने भारत का रुख किया है. इनमें मेटा, एपल, अमेजन, माइक्रॉसोफ्ट, नेटफ्लिक्स और गूगल का नाम शामिल है. इन कंपनियों ने भारत में अपनी ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स में 32,000 से ज्यादा नई नौकरियां जोड़ी है. स्टाफिंग की फर्म जेफ्नो के डेटा के मुताबिक, पिछले साल से 18 प्रतिशत से ज्यादा है और पिछले 3 साल में सबसे तेज बढ़ोतरी है. अब इन कंपनियों का भारत में कुल स्टाफ लगभग 214,000 हो गया है. यह नौकरियां मुख्य रूप से एआई, मशीन लर्निंग, क्लाउड इंजीनियरिंग, डाटा साइंस और साइबर सिक्योरिटी जैसे हाई वैल्यू क्षेत्रों में हैं.
भारत में टैलेंट सस्ता और अच्छा मिलता है. वीजा की जरूरत नहीं पड़ेगी और काम रिमोट या हाइब्रिड तरीके से हो सकता है. इसलिए कंपनियां यहां पर अपना इन्वेस्टमेंट बढ़ा रही हैं. यह बदलाव भारतीय आईटी सेक्टर के लिए अच्छी खबर है क्योंकि इससे नौकरियां बढ़ रही है और इकॉनमी को फायदा हो रहा है. हालांकि अमेरिका में काम करने का सपना देखने वाले कई इंडियन प्रोफेशनल्स के लिए मुश्किलें बढ़ गई हैं. कुल मिलाकर यह सख्ती अनजाने में भारत को बड़ा फायदा दे रही है.
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