EPFO में होने वाला है बड़ा बदलाव, 15 हजार से बढ़कर 30,000 होगी सैलरी? देखें ये रिपोर्ट

EPFO: अगर आप नौकरी करते है और आपकी पीएफ कटता है तो आपके लिए ये बेहद जरूरी खबर है. क्योंकि सरकार ईपीएफओ में बड़ा बदलाव करने जा रही है. जिससे आपकी सैलरी पर भी असर पड़ सकता है. आइए जानते हैं कैसे?

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Suhel Khan
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EPFO: अगर आप नौकरी करते है और आपकी पीएफ कटता है तो आपके लिए ये बेहद जरूरी खबर है. क्योंकि सरकार ईपीएफओ में बड़ा बदलाव करने जा रही है. जिससे आपकी सैलरी पर भी असर पड़ सकता है. आइए जानते हैं कैसे?

EPFO: नौकरीपेशा लोगों के लिए जरूरी खबर है. जो ईपीएफओ और आपकी सैलरी से जुड़ी हुई है. दरअसल, कर्मचारियों की तरफ से लंबे समय से यह मांग की जा रही थी कि कर्मचारी भविष्य निधि ईपीएफ के तहत अनिवार्य योगदान के लिए वर्तमान सैलरी लिमिट को 15,000 से बढ़ाकर 30000 हजार रुपये प्रति माह कर दिया जाए. लेकिन इसे लेकर अब सरकार का जवाब सामने आया है.

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EPFO में सैलरी लिमिट बढ़ाने पर क्या बोले केंद्रीय मंत्री मांडविया?

दरअसल, संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन चर्चा हुई जिसमें सांसदों ने श्रम और रोजगार मंत्री मनसुख मंडाविया से इस योजना के विस्तार को लेकर सवाल किया. मंत्री ने साफ किया कि ईपीएफ सैलरी लिमिट में संशोधन का फैसला एक संवेदनशील मामला है और इसके लिए सभी हितधारकों, ट्रेड यूनियनों, उद्योग संघों और अन्य संबंधित पक्षों से व्यापक परामर्श करना जरूरी है. केंद्रीय मंत्री मंडाविया ने कहा कि सैलरी लिमिट बढ़ाने पर कर्मचारियों की टेक होम सैलरी पर असर पड़ेगा, क्योंकि उन्हें ईपीएफ में ज्यादा योगदान देना होगा.

सैलरी लिमिट बढ़ने  से नियोक्ताओं पर बढ़ेगा भार

इसके साथ ही नियोक्ताओं पर भी इससे वित्तीय भार बढ़ेगा. जिससे उनकी भर्ती लागत पर प्रभाव पड़ेगा. इसलिए इस मामले में संतुलित और समग्र दृष्टिकोण के साथ निर्णय लेने की जरूरत है ताकि ना सिर्फ कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित हो बल्कि व्यवसायों की आर्थिक मजबूती भी बनी रहे. केंद्रीय मंत्री मांडविया ने कहा कि अभी के समय में जिन कर्मचारियों की बेसिक सैलरी ₹15,000 तक है, उनके लिए ईपीएफ में योगदान करना अनिवार्य है. लेकिन जो इस सीमा से अधिक कमाते हैं और 1 सितंबर 2014 के बाद शामिल हुए हैं, उनके लिए यह योगदान वैकल्पिक है.

इससे पहले 2014 में किया गया था सैलरी लिमिट में बदलाव

ईपीएफ योजना 1952 के तहत उन सभी संस्थानों में काम करने वाले कर्मचारियों को कवर करती है जिनकी बेसिक सैलरी 15,000 रुपये या उससे कम है. और इसके लिए कर्मचारियों को रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है. इस योजना में पात्रता के लिए किसी न्यूनतम वेतन का प्रावधान नहीं है. जिससे छोटे और मध्यम वेतन वाले कर्मचारी भी इस योजना से लाभान्वित होते हैं.

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सैलरी लिमिट जो आखिरी बार 2014 में संशोधित किया गया था और अगर इसे बढ़ाकर 30 हजार कर दिया जाता है तो संगठित क्षेत्र में काम करने वाले ज्यादातर कर्मचारी ईपीएफ में योगदान के दायरे में आ जाएंगे. इसका सीधा मतलब यह होगा कि वह अपने भविष्य के लिए एक मजबूत वित्तीय सुरक्षा कवच बना सकेंगे. जो सामाजिक सुरक्षा के लिहाज से बेहद जरूरी है.

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