इस साल दिवाली 20 अक्टूबर को मनाई जा रही है. ज्योतिषीय गणना के अनुसार लक्ष्मी पूजन का सर्वोत्तम समय शाम 7:08 से रात 8:18 बजे तक रहेगा. इस अवधि को प्रदोष और वृषभ काल का संगम माना गया है, जो मां लक्ष्मी की आराधना के लिए अत्यंत शुभ है.
हर साल की तरह इस बार भी कार्तिक मास की अमावस्या तिथि पर दीपावली का पावन पर्व पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाएगा. यह त्यौहार प्रकाश, खुशियों और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है. इसी दिन भगवान श्रीराम माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ 14 वर्ष का वनवास पूर्ण कर अयोध्या लौटे थे. अयोध्यावासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया था, और तभी से दीप जलाने की यह परंपरा हर साल निभाई जाती है.
दिवाली की तिथि और शुभ मुहूर्त
इस साल दिवाली की तारीख को लेकर कुछ भ्रम बना हुआ है. कुछ लोग इसे 20 अक्टूबर को मान रहे हैं तो कुछ 21 अक्टूबर को. ज्योतिषीय गणना के अनुसार, कार्तिक अमावस्या की शुरुआत 20 अक्टूबर दोपहर 3:44 बजे होगी और समापन 21 अक्टूबर शाम 5:55 बजे. अमावस्या तिथि दोनों दिनों में रहेगी, लेकिन प्रदोष काल, जो लक्ष्मी पूजा के लिए सबसे शुभ माना जाता है, 20 अक्टूबर की शाम को पड़ रहा है. इसलिए लक्ष्मी-गणेश पूजा 20 अक्टूबर को करना अधिक शुभ और फलदायी रहेगा. इस दिन पूजा के दो शुभ मुहूर्त रहेंगे-
प्रदोष काल: शाम 5:46 से रात 8:18 तक
वृषभ काल: शाम 7:08 से रात 9:03 तक
इनमें से लक्ष्मी पूजन का सर्वोत्तम समय शाम 7:08 से 8:18 तक रहेगा.
लक्ष्मी-गणेश पूजा विधि
पूजा के लिए घर के पूर्व दिशा या ईशान कोण में एक चौकी पर लाल या गुलाबी कपड़ा बिछाएं. पहले भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करें और उनके दाहिने माता लक्ष्मी को रखें. फिर घी का दीपक जलाकर फूल, चावल और मिठाई अर्पित करें. पहले गणेश जी के मंत्रों का जाप करें, फिर मां लक्ष्मी की स्तुति करें और अंत में आरती करें.
दीपक जलाने की शुरुआत थाल में पांच दीपक रखकर करें और उन्हें घर, मंदिर, दरवाजे और आंगन में रखें. कुएं या जल स्रोत के पास दीप जलाना भी शुभ माना जाता है.
दिवाली का संदेश
दिवाली का मूल भाव है- अंधकार पर प्रकाश की विजय. जैसे भगवान राम ने रावण का वध कर धर्म की स्थापना की थी, वैसे ही यह पर्व हमें बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देता है. दिवाली सिर्फ पूजा का नहीं, बल्कि परिवार, प्रेम और एकता का त्यौहार है जो हर दिल में उजाला फैलाता है.
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