आंदोलन के बहाने 'सिस्टम' क्यों हाईजैक? आंदोलन की आड़ में 'अर्थतंत्र' को नुकसान क्यों? विरोध के नाम पर हुड़दंग, पंजाब में करोड़ों फोन ठप्प, इन मुद्दों पर न्यूज नेशन के एडिटर-इन-चीफ मनोज गैरोला ने कहा, मेरे ख्याल से टॉवर तोड़ पॉलिटिक्स में किसी न किसी का वेस्टेड इंटरेस्ट है, जैसा कि आज जियो ने अपने बयान में कहा है. यह पहली बार भी नहीं हुआ है. रिलायंस ने आज अपने बयान में साफ कर दिया है कि वे कांट्रैक्ट फार्मिंग बिजनेस में नहीं हैं और न आगे आएंगे. कभी किसी किसान की जमीन नहीं खरीदी और न खरीदेंगे. रिलायंस रिटेल में जो सप्लायर हैं, उनके माध्यम से वे कोशिश करेंगे कि MSP से कम पर किसानों की फसल न खरीदी जाए.2016 में रिलायंस की सर्विस शुरू हुई थी. उस समय तीन ऑपरेटर थे एयरटेल, आइडिया और वोडाफोन. उस समय इन तीन कंपनियों ने रिलायंस को प्वाइंट ऑफ इंटरकनेक्शन नहीं दिया. उस समय ट्राई ने दखल दिया था और 3000 करोड़ की पेनाल्टी लगाई थी. वहीं, स्टेट गवर्नमेंट टॉवर तोड़ने के मामले में मूक दर्शक बनी रही और किसी पर एफआईआर तक नहीं किया गया, जबकि 1600 टॉवर तोड़ दिए गए.#मोबाइल_टावर_को_नुकसान_क्यों? #DeshKiBahas
कहां ये कंपनियां आपकी जमीनें कब्जा रही हैं, राज्य सरकार ने तो FIR तक नहीं कराया : मनोज गैरोला
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