यास्मीन ने कहा, जिसे जिसकी पूजा करनी है उसे करनी चाहिए इससे किसी को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए. मैं आपको बता दूं कि ये फतवा जिसने भी जारी किया है, वो बेवकूफी भरा फैसला है. मैं भी भगवान राम की इज्जत करती हूं, उनका सम्मान करती हूं लेकिन हमारा धर्म हमें मूर्तिपूजा की इजाजत नहीं देता है. मैं दरगाह नहीं जाती हूं क्योंकि ये मेरी मर्जी है चाहे मैं इसे मानूं चाहे न मानूं. इस्लाम कभी भी किसी धर्म को थोपने की इजाजत नहीं देता है.