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आरएसएन सिंह ने कहा कि दुर्भाग्यवश आर्टिकल-370 को 1947 से इस्लामिक चश्मे से देखा जा रहा है. ऐसा लगता था कि आर्टिकल -370 को अल्लाह के यहां से भेजा गया है. अगर कोई तय करेगा कि कश्मीर में क्या होना चाहिए तो ये सिर्फ सुशील पंडित तय कर सकते हैं क्योंकि इनके पूर्वजों ने 2 किलो चावल के बदले अपना ईमान नहीं बेचा.
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