Cloudburst: उत्तराखंड में बादल फटने का कहर, धराली और हर्षिल में दोहरी तबाही

उत्तराखंड में 5 अगस्त को भारी तबाही मची जब धराली और हर्षिल में बादल फटने की दो घटनाएं सामने आईं. तेज बारिश और मलबे के कारण कई घर, दुकानें और होटल बह गए. सेना और रेस्क्यू टीमें लगातार राहत और बचाव कार्य में जुटी है.

उत्तराखंड में 5 अगस्त को भारी तबाही मची जब धराली और हर्षिल में बादल फटने की दो घटनाएं सामने आईं. तेज बारिश और मलबे के कारण कई घर, दुकानें और होटल बह गए. सेना और रेस्क्यू टीमें लगातार राहत और बचाव कार्य में जुटी है.

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Dheeraj Sharma
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उत्तराखंड में 5 अगस्त को भारी तबाही मची जब धराली और हर्षिल में बादल फटने की दो घटनाएं सामने आईं. तेज बारिश और मलबे के कारण कई घर, दुकानें और होटल बह गए. सेना और रेस्क्यू टीमें लगातार राहत और बचाव कार्य में जुटी हैं. अब तक कई लोगों को सुरक्षित निकाला गया है, लेकिन कई लोग अब भी लापता हैं. यह हादसा बताता है कि उत्तराखंड का यह इलाका बादल फटने जैसी आपदाओं के लिए बहुत संवेदनशील है.

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कब फटता है बादल?

बादल फटने की घटना तब होती है, जब नमी से भरे बादल एक जगह रुक जाते हैं और उन पर पानी की बूंदों का भार बढ़ जाता है. जैसे ही यह भार अचानक नीचे गिरता है, तेज बारिश शुरू हो जाती है. आमतौर पर यह घटना 1000 से 2500 मीटर की ऊंचाई पर होती है. ठीक यही हाल इस बार उत्तराखंड के धराली में हुआ, जहां भारी बारिश और मलबे के साथ तबाही का मंजर सामने आया.

एक दिन में दो जगह फटे बादल

मंगलवार यानी 5 अगस्त को उत्तराखंड में सिर्फ धराली ही नहीं, बल्कि हर्षिल में भी बादल फटने की घटना हुई. धराली में आई बाढ़ और मलबे के बाद, हर्षिल घाटी में आर्मी बेस कैंप के पास भी तेज रफ्तार से पानी और मलबा आया. सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो में साफ दिख रहा है कि कैसे पहाड़ी से पानी और पत्थरों का सैलाब उतर रहा है.

क्यों संवेदनशील है उत्तराखंड?

आपको बता दें कि उत्तराखंड का यह इलाका हिमाचल के पास है और यहां का भूगोल इसे बादल फटने के लिए बेहद संवेदनशील बनाता है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि यहां की पहाड़ियों की संरचना और जलवायु परिवर्तन (क्लाइमेट चेंज) इस खतरे को और बढ़ा देते हैं. हाल के वर्षों में हिमाचल में भी ऐसी घटनाएं बढ़ी हैं और अब उत्तराखंड में भी इनकी रफ्तार बढ़ती दिख रही है.

हर्षिल और धराली में राहत-बचाव कार्य जारी

हर्षिल और धराली में बादल फटने के बाद एनडीआरएफ की तीन टीमों को तुरंत रवाना किया गया. हर टीम में करीब 35 सदस्य होते हैं, जो मलबे में फंसे लोगों को निकालने के लिए जरूरी उपकरणों से लैस हैं. साथ ही सेना, एसडीआरएफ और स्थानीय प्रशासन भी मिलकर राहत-बचाव अभियान चला रहे हैं.

तबाही का मंजर

धराली की एक तस्वीर में देखा गया कि कीचड़ और मलबे में एक व्यक्ति फंसा हुआ है और अपनी जान बचाने की कोशिश कर रहा है. कई घर, होटल और दुकानें बाढ़ में बह गईं. एक्सपर्ट्स चेतावनी दे चुके हैं कि अगर क्लाइमेट चेंज पर काबू नहीं पाया गया तो भविष्य में इस तरह की आपदाएं और बढ़ सकती हैं.


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