अपने देश में राजनीति के दो रंग दिखते हैं....सियासत का पहला रंग चुनाव के बाद पूरे 4.5 साल तक दिखता है और चटकदार रंग वाली दूसरे किस्म की सियासत चुनाव से 6 महीने पहले दिखती है...अभी यूपी वही चुनावी रंग वाली सियासत देख रहा है...लखीमपुर को हिंसा की लपटों ने घेरा...हम सबने देखा..उसके बाद क्या कुछ हुआ वो भी हम सबने देखा...योगी सरकार ने मिशन समझौते के तहत लखीमपुर में शांति बहाली की कोशिश की....और दूसरी तरफ विपक्ष की कोशिशों से अब जो कुछ दिख रहा है...वो भी सामने है...हिंसा की जांच के लिए 6 सदस्यों वाली एसआईटी का ऐलान हो चुका है...लेकिन विपक्ष को सियासत चाहिए...केंद्रीय गृह राज्य मंत्री के बेटे आशीष मिश्रा के खिलाफ धारा 302 के तहत मुकदमा दर्ज हो चुका है...लेकिन विपक्ष को सियासत चाहिए...बहराइच में परिजनों की मांग पर किसानों का दोबारा पोस्टमार्टम होगा...लेकिन विपक्ष को सियासत चाहिए...और ये भी बता दें कि कैसी सियासत चाहिए....वही जो हमने पहले बताया...चुनाव के 6 महीने पहले वाली सियासत...ये हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि सवाल कुछ इसी किस्म के उठ रहे हैं...पहले सवाल देख लीजिए...फिर जवाब मांगेंगे सियासतदानों से...
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